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... रतसागर. मनयवाद । वस्तु तत्व जिणे जाणीयें रे। ते आगम स्यादवादरे॥०॥४॥ से॥स०॥ जय रथ राय तणी परेंरे । जात्रा करो मनरंग । नव पुःखने देश अंजलीरे। थाये सिधि वधूनो संगरे ॥०॥५॥स०॥ समकित युत जात्रा करैरे। तो शिव हेतु थाय । जव हेतु किरिया त्यागथीरे । आतम गुण प्रगटायरे ॥०॥६॥से ॥ जेह समयें सम कित थयोरे । तेह समयें होय नाण । ज्ञान विमल गुरु नाखीयोरे । आवश्यक भाष्यनी वाणरे ॥ ज०॥७॥से ॥स०॥ इति चौमाशी देववंदन विधिः॥ ॥ॐ॥
॥॥अथ श्री पर्युषणपर्व स्तुतिः॥४॥ ॥ॐ॥ सत्तरनेदी जिन पूजा रचीने स्नात्रमहोबव कीजैजी । ढोल द मामा भेरी नफेरी मल्लरिनाद सुणीजैजी। वीरजिन आगल भावना जावी मानवनव फल लीजैजी । परब पजूसण पूरब पुण्यें आव्या इंम जागी जैजी ॥ १ ॥ मास पास वली दशम वालस चत्तारी अह कीजै जी। ऊपर वलि दशदोय करीने जिन चौवीश पूजीजेंजी । बमा कल्पनो बहकरीने वीरवखाण सुणीजैजी। पमवाने दिन जन्म महोत्सव धवल मं गल वरतीजैजी ॥२॥ आठ दिवसलगे अमर पलावी अहमनुं तप कीजै जी। नागकेतुनी पर केवल लहियै जो सुननावें रहियैजी । तेलाधर दिन त्रण्य कल्याणक गणधर वाद वदीजैजी । पास नेमीसर अंतर त्रीजै झपन च रित्र सुणीजजी॥३॥ बारशै सुत्रने समाचारी संवत्सरी पमिक्कमियजी।
चैत्यप्रवामी विधिसुंकीजै सकल जंतुनें खामीजैजी। पारणाने दिन सामीव त्सल कीजै अधिक कमाईजी। मान विजय कहै सकल मनोरथ पूरो देवी सिचाईजी ॥४॥ इति ॥ * ॥
॥ ॥ ॥ॐ॥ ॥ * ॥अथ श्री नेम राजीमती बारमाशो॥ * ॥ ॥ ॥ सीयालै खाटू नलीरे लाल (ए चाल)॥१॥ ॥ ॥तोरणथी रथ फेरीयोरे लाल । नीतुर नेम कुमार । प्रेमविलूधी प दमणी हो लाल । वीनवै राजुलनार ॥१॥ (हो रंगीला नेम, मुणमांहरी अर दास)। सहीयांसुं राजुल कहै हो लाल । मगसिर नायो पीन । प्रीतम विण हिवमाहरो हो लाल । धीरज न धरै जीव ॥२॥ हो । पोसमहीनो आ.