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- राई प्रतिक्रमण विधि. कहे । परी नमोथ्थुणं कही स्तवन कहेवु (पी) वरकनक कही जगवान् आदे वांदवा । परी जमणो हाथ नपधी ऊपर थापी । अढाइओसु कहेवू । पनी दे वसिअ पायबित्तनो कानसग्ग चार लोगस्स (अथवा) शोल नवकारनो क खो। ते कानसग्ग पारी । प्रगट लोगस्स कही। बेसीने । खमासमण दे। हा । सिशाय संदिसा । बिजु खमासमण देई । इबा सिशाय नएं।एम सिशायनो आदेश मागी। एक नवकार गणी । सिझाय कहवी। परी एक नवकार गणी । खमासमण देई सुख्खख्खो कम्मख्खो नो कानसग्ग। चार लोगस्सनो संपूर्ण (अथवा) शोल नवकारनो करवो । ते एक वरें (अथवा) पोतें पारीने । नमों ऽहंत कही । लघुशांति कहीनें । प्रगट लोगस्स कहै (पी) शरिया वही०॥ तस्स नत्तरी० ॥ कही ॥ एक लोगस्स ( अथवा ) चार नवकाररो कासग्ग करी । प्रगट लोगस्स कहेवो । पी चनकसाय० ॥ नमुथ्थुणं. कही ॥ जावंति, बे । क हीने। वसग्ग हरं० ॥ जयवीयराय० कही । मुहपत्ती पडिलेहवी। पी इनामि० ॥इडा० सामायिक पारुं यथाशक्ति । इनामि० । इडा का०॥ सामायिक पास्युं, तहत्ति कही पी जमणो हाथ नपधी ऊपर स्थापी । ए क नवकार गणीने सामाइन वयजुत्तो कहेQ । परी थापलि स्थापना होय तो एक नवकार गणी कठे । एवं प्रतिक्रमण विधि कह्यो । बा की अंतरविधि मोहोटाथी समजवो। इति देवसी प्रतिक्रमण विधि ॥ ॥
॥ ॥ अथ राई प्रतिक्रमण विधि ॥॥ ॥ ॥ प्रथम पूर्वली रीतें सामायिक लेवू । पीडा । इहा।कही कुमुमिण समिणनो कान्सग्ग चार लोग्गस्सनो ( अथवा ) शोल नव कारनो करी । पारी । प्रगट लोगस्स कहेवो । पनी खमासमण देई । जगचिंतामणिर्नु चैत्यवंदन, जय वीयराय सुधी कहेवू । पठी चार खमा सण पूर्वक । नगवान् । आचार्य । नपाध्याय। अने सर्व साधु । प्रत्यकें बांदवा । पठी खमासमण बे देश । सशायनो आदेश मांगी। एक नवकार गणीनें । नरहे सरनी सशाय कहीने (फरी) एक नवकारगणवो। पनी इड कार सुहराईनो पाठ कहेवो। परी इलाका। राई प्रतिक्रमण ठगळं । क