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२।५। ८।११।१५। पांचतिथी स्तुति. १४९ णत विनीतेंजी । प्रादश अंग पूरवयुत रचिया गणधर लब्धि विकसिया जी। अपजावसिय जिनागम बंदो अदर पदना रसिया जी ॥ ३ ॥ णा रंगी समकित संगी विविध नंग व्रतधारी जी । चनबिह संघ ती स्थ रखवाली सहु नपद्रव हरनारी जी । पंचांगुली सुरी शासन देवी देती तस जश कधीजी । श्री शुनवीर कहे शिव साधन कार्य शकलमां सिधीजी ॥४॥ इति ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥
॥ॐ॥अथ वीजतिथिकी स्तुति॥॥ ॥ ॥ दिन सकल मनोहर वीज दिवस सु विशेष । राय राणा प्र एणमें चंद्र तणी ज्यां रेख । तिहां चंद्रविमाने शाश्वत जिनवर जेह । हु बीज तणे दिन प्रणमुं आणि नेह ॥१॥ अभिनंदन चंदन शीतल शीतल नाथ । अरनाथ सुमति जिन वासुपूज्य शिव साथ । इत्यादिक जिनवर जन्म ज्ञान निरवाण । हुं बीज तणे दिन प्रणमूं ते मुविहाण ॥ २ ॥ पर काश्यो बीजें दुविध धर्म नगवंत । जेम विमला कमला विनुल नयन विकसंत । आगम अति अनुपम जिहां निश्चय व्यवहार । बीजें सवि कीजें पातिकनो परिहार ॥ ३ ॥ गजगामिनी कामिनी कमल सुकोमल चीर । चकेसरि केसरी सरस सुगंध शरीर । कर जोमी बीजें हूं प्रणमुं तस पाय । इम लब्धिविजय कहे पूरो मनोरथ माय ॥ ४ ॥ इति
॥अथ पंचमीनी स्तुति ॥ ॥ ॥ ॥ श्रावण शुदि दिन पंचमी ए । जनम्या नेम जिणंद तो । श्याम वरण तन शोजतो ए। मुख शारदको चंद तो । सहस वरस प्रनु आनखो ए । ब्रह्मचारी नगवंत तो। अष्ट करम हेलें हणीए । पोहोता मुक्ति मकार तो। वासुपूज्य चंपापुरि ए । नेम मुक्ति गिरनार तो। पावापुरी नगरीमां वली ए। श्री वीरतणुं निर्वाण तो । समेत सिखर वीश सिघ हुआ ए। शिर वहुँ तेहनी आण तो ॥२॥ नेमिनाथ ज्ञानी हुवा ए। नाख्यो सार वचन्न तो॥ जीवदया गुण वेलमी ए। कीजै तास जतन्न तो । मृषा न बोलो मा नवी ए । चोरी चित्त निवार तो। अनन्त तीर्थकर इम कहे ए । परहरिये परनार तो॥३॥ गोमेद नामें जद नलो ए। देवीश्री अंबिका नाम तो।शा