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ते चोपाई वि. सं. १६५२ मां रची छे. अने ज्यारे महा प्रभावक तपस्वी पूंजाऋषि बीजानी दीक्षा विक्रम सं. १६७० मां थएल छे. आवी जुदी जुदी वीना खुलाशाथी जणाती छता पं. लालचंदभाइ भगवानदासे आरामशोभाचरित्रनी प्रस्तावनामां वन्ने पूंजाऋषिओने एक गणी अनेक कल्पनाओ करी छे. भ्रांतिकारक कल्पनाओ करवामां कारण श्रीमन्नागपुरीयवृहत्तपागच्छनी पट्टावलीमा उपाध्याय श्रीमेघराजगणिनी बीना एकना बदले बीजाना पाटमां लेखके लखेल होवाथी, एटला मात्रथी पट्टावलीपर तथा श्रीयुत साक्षर मोहनलाल (द. देशाइए लखेल — समयसुंदर' निबंधना पर अविश्वास धारण करीने महाप्रभावक तपस्वी पूंजामुनिवरनो संबंध कल्पितमानी लेवो ए कोइ रीते ईतीहास वेत्ताओने बंध बेसतु थइ शके नही, अनाभोगथी कोइपण बीना लेखके आगल पाछल लखी होय एटला मात्रथी सचोट पुरावावाली बीजी बीनाओ कल्पित मानी लेवी अने तेना उपर अनेक तर्क वितर्को करवा ते सुज्ञ ईतीहासवेत्ताओने शोभास्पद नथी. टुंकामां | एटलं जणावी पं. लालचंदभाइ भगवानदासने हु भलामण करं छु के समय परत्वे आ बीनाने तमो शुधारी लेवा प्रयत्न करशो. वली आ लेख उपयोगी होवाथी अत्रे आपवामां । आवेल छे. राजनगर-अमदावाद शामलानी पोळमां शासन) पति श्रीमहावीर स्वामिजीनो देरासरजी छे तेमां 'महाप्रभा-1 4क तपस्वीजी श्रीपूंजामुनिवरनी पादुका छे. तेमा लेख,