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________________ ७७ साह प्रतापसी तद्भार्या कोरबाई चिरंजीवी साह घेला तद्भार्या प्रथमा पदमाबाई तत्पुत्र साहा मेघजी । साहा घेला तदधुनावर्त्ततेभार्या नानबाई तत्पुत्र साह गोविंदजी साह मेघजीघेला तद्भार्या वेलुबाई । दिन २ अधिक प्रतापश्चिरंजीवी साह श्री शिवजी नेणशी तद्भार्या पदमा. बाई तत्तपुत्र च्यार साह षींसी १ साह नागसी २ साह लषमसी ३ साह उकरडा ४ साह षीअसी तद्भार्या पुमाबाई तत्पुत्र साह कल्याणजी । साह नागसी तद्भार्या प्रमाबाई । साह लषमसी तद्भार्या राणबाई । साह उकरडा तद्भार्या सोनबाई । साह डेराज तद्भार्या मालबाई । अथ द्वितीयो लोडाईया गोत्रे चिरंजीवी साह श्री मेघजी केशवाणी तत्पुत्र साह मालु तद्भार्या वालबाई तत्पुत्रदिन २ अधिक प्रतापश्चिरंजीवी साह वेलजी तथा लखमसी तद्भार्या कमिबाई तत्पुत्र द्वौश्चिरंजीवी साह त्रीकमजो १ तथा साह अमरसी २ साह त्रीकमर्जी तद्भार्या देवकुंवरबाई । अथ तृतीयो गांधी मोहता गोत्रे चिरंजीवी साह श्री नायक तद्भार्या हीरबाई तत् पुत्र दिन २ अधिकप्रतापश्चिरंजीवी साह केशवजी तद्भार्या पाबुबाई तत्पुत्र साह नरसी तद्भार्या रत्नबाई । ए परिवार जण त्रिननो लिख्यो छे । साह श्री शिवजी नेणशी तथा साह श्री वेलजी मालु तथा साह श्री केशवजी नायक । ए जण ३ मिलीनें कल्याण टुंक ते विषे श्री मेरुप्रभजिनालय सातगंभारावालो ते उपरें त्रिन चोमुख ते उपरे पांच शिखर माहामनोहर कर्या छे तथा रंगमंडप मुषमंडप उपरे चारे तरफे सामणि करी छ । तथा देहराने हेठे मोटो भोयरो कराव्यो छे । अने मूल गंभाराने विषे मूलनायक श्री शांतिनाथजी प्रमुख पाषाणना बिंब ३३ थाप्या छे । अने धातुना बिंब ३३ फिटकनो बिंब १ थाप्यो छे । तथा रंगमंडप मध्ये शाशन यक्ष यक्षणीमूर्ति २ तथा गछअधिष्टायिकादेवी श्री चक्रेश्वरी महाकाली मूर्ति २ थापि तथा उपरे चोमूष ३ छे तेमां धर्मनाथजोनो १ सास्वताजीननो २ मुनीसुवृत्तस्वामी प्रमुखनो ३ मोटा देहराने नैऋत षणे साह पांचूभाई तेजसीनो दहेरो तेमां बिंब ७ पाषाणना छे ॥ मोटा देहराने वावपूणे जूना शांतिनाथजी प्रमुख पाषाणना बिंब ३ थाप्या छे ॥ मोटा देहराने ईशान पूणे साह त्रीकमजी वेलजीनो देहरो छे तेमां श्री पार्श्वनाथजो प्रमुख पाषाणना बिंब ३ थाप्या छे ॥ मोटा देहराने अग्निषणे ज्ञान भंडारनो देहरो छे तेमां आचार्यना पाट २६ नी पादुका थापी छे । तथा मोटा देहराने सनमुष गणधर चक्रधरजी प्रमुख बिंब ३ पाषाणना थाप्या छे ते गणधरजीनो देहरो छे ते देहराने उत्तरादि कोरे साह पदमशी वीरजीनो देहेरो तेमां पाषाणना बिंब ३ थाप्या छे । ते गणधरना देहेराने दक्षिणादि कोरे साह सामजी हेमराजनो देहरो ते मांहे चंद्रप्रभ प्रमुख पाषाणना बिंब ३ तथा बिंब १ फिटक रत्ननो छे तथा मोटा देहेरानी सनमुख जिमणी बाजुई सा परबत लघानो देहेरो चोमुखनो छे अने ते उपरे पिण चोमुख छे ।। तथा मोटा देहेरानी सन्मुख डाबीबाजूई सा लालजी मेघजीनो चोमुख देहरो छे । ते उपरे पिण चोमुख छे । अने देराने पाछले देहेरी मध्ये श्रीऋषभदेवजीना पगला छे । एणी रीते कल्याण मंदिर टुंक गढसीके माहा मनोहर कराव्यो छे । तथा उपाश्रय नवचोकीवालो बेमालो तथा ऊरडी मेडीबंध तथा महाजनवाडी तथा पांजरापोल तथा फूलवाडी तथा मुंबैइथी संघ लई श्री सेजानी यात्रा करावी आंही सुधी संघसमस्तने षेणषरच आपीने संघ काठ्यो ।
SR No.032059
Book TitleAnchalgacchiya Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshva
PublisherAnantnath Maharaj Jain Derasar
Publication Year1964
Total Pages170
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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