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________________ महाभारत पर आश्रित ग्रन्थ रामायण के तुल्य महाभारत भी श्रेण्यकाल के कवियों के लिए लोकप्रिय रहा है । उन्होंने महाभारत की मुख्य कथा तथा उसके अन्तर्गत अन्य कथाओं का उपयोग किया है । उन्होंने अपने ग्रन्थों के लिए महाभारत से कथानक लिया है । महाभारत स्वयं भी इस प्रकार की भविष्यवाणी करता है । १. सर्वेषां कविमुख्यानामुपजीव्यो भविष्यति । पजन्य इव भतानामक्षयो भारतद्रुमः ॥ महाभारत - - श्रादि० १-१०८ २. इतिहासोत्तमादस्माज्जायन्ते कविबुद्धयः । पञ्चभ्य इव भूतेभ्यो लोकसंविधयस्त्रयः ।। महाभारत - - प्रादि० २-३८६ ३. अनाश्रित्यैतदाख्यानं कथा भुवि न विद्यते । श्राहारमनपाश्रित्य शरीरस्येव धारणम् ।। इदं कविवरैः सर्वैराख्यानमुपजीव्यते । उदयप्रेप्सुभिर्भृत्यैरभिजात इवेश्वरः ।। महाभारत - आदि० २ - ३८६- ३६० बाण और दण्डी ने व्यास और उनके महाकाव्य की श्रतिशय प्रशस्ति की है तथा अपनी श्रद्धा व्यक्त की है । देखिए : -- नमः सर्वविदे तस्मै व्यासाय कविवेधसे । चक्रे पुण्यं सरस्वत्या यो वर्षमिव भारतम् ।। हर्षचरित -- प्रस्तावना श्लोक ३ मर्त्ययन्त्रेषु चतन्यं महाभारतविद्यया । अपयामास तत्पूर्वं यस्तस्मै मुनये नमः ॥ अवन्तिसुन्दरी -- प्रस्तावना श्लोक ३
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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