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उपसंहार
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और वह ऐसी शिक्षा देगा, जो कि मनुष्यमात्र के अन्तःकरण पर अपना प्रभाव डाल सके और उसकी सद्भावना प्राप्त कर सके । “अपने विशेष अध्ययन के लिए मानवीय बुद्धि का चाहे कोई भी क्षेत्र चुनो, चाहे वह भाषा हो, धर्म हो, पौराणिक कथा साहित्य हो, दर्शन हो, रीति-रिवाज हो आदिकालीन कला या विज्ञान हो, प्रत्येक स्थान पर तुम्हें भारतवर्ष में जाना होगा। चाहे इच्छापूर्वक जामो या अनिच्छापूर्वक, जाना अवश्य पड़ेगा । क्योंकि मानवसृष्टि की कुछ अति बहुमूल्य और अनुपयोगी सामग्री केवल भारतवर्ष में ही सुरक्षित है। अन्यत्र कहीं नहीं।"२ पाश्चात्य विद्वानों ने जो महत्त्वपूर्ण अनुसन्धान किए हैं भले ही दूसरे दृष्टिकोण से किए हों, उनके लिए भारतवर्ष को उनका प्रतिकृतज्ञ होना चाहिए, क्योंकि उन अनुसन्धानों के बिना भारतवर्ष का महत्त्व सदा के लिए अन्धकार में ही लुप्त रहता ।
१. Maxmuller: What can Indian teach us. पृष्ठ १३-१४ २. Maxmuller: What can Indian teach us. पृष्ठ १५