________________
संस्कृत साहित्य का इतिहास
याभ्युदय में प्रामाणिक ऐतिहासिक सामग्री प्राप्त होती है। इन तीनों ग्रन्थों में विजय नगर के राजवंश के कार्यों का पर्याप्त विवरण प्राप्त होता है । वासुदेवरथ ने गंगावंशानुचरित में और गंगाधर ने गंगादासप्रतापविलास में गंगा वंश का वर्णन किया है | तिरुमलाम्बा के वरदाम्बिकापरिणयचम्पू और वामनभट्टबाण के वेमभूपालचरित का सम्बन्ध ऐतिहासिक व्यक्तियों से है । यज्ञनारायण के साहित्य - रत्नाकर और रघुनाथविलास में तथा रामभद्राम्बा के रघुनाथाभ्युदय में तरके राजा रघुनाथ नायक ( १६१४ - १६३२ ई० ) के पराक्रमों का वर्णन है । इसी प्रकार के महत्त्व के ये ग्रन्थ भी हैं - रुद्रकवि का राष्ट्रौढवंशमहाकाव्य, देवविमलमणि का हीर-सौभाग्य, देवराज का बालमार्तण्डविजय और बाणेश्वर का चित्रचम्पू ।
मेरुतुंग ने १३०६ ई० में प्रबंधचिन्तामणि लिखा है । इसमें जैन सन्तों, जैन कवियों और जैन धर्म के श्राश्रयदाताओं की आत्मकथाएँ हैं । राजशेखर का १३४६ ई० में लिखा हुआ प्रबन्धकोश भी इसी प्रकार का ग्रन्थ है । विश्वगुणादर्श में १७वीं शताब्दी के मध्य के दक्षिण भारत की जीवन का वर्णन है । श्रानन्दरङ्गचम्पू में ब्रिटिश साम्राज्य के श्रीगणेश होने का उल्लेख है । मद्रास नगर का चित्र सर्वदेवविलास में खींचा गया है । इनके अतिरिक्त, प्रबोधचन्द्रोदय जैसे रूपकात्मक नाटक एक विशेष काल के लोगों के धार्मिक जीवन पर प्रकाश डालते हैं, जिनकी रचना उस समय हुई ।
जनता के भारत में
२७८
ق