________________
२७२
संस्कृत साहित्य का इतिहास व्यक्ति को रुचिकर मानती थी। इन सब कारणों ने नवाभ्यासी के लिए नाटक का लिखना प्रायः असम्भव कर दिया। भारतवर्ष में जब से मुसलमानों ने अपना राज्य स्थापित किया, तब से भारतीय नाटक साहित्यिक और लौकिक जगत् में अपना महत्त्व खोते रहे हैं । भारतीय नाटक सभी दृष्टिकोण से हिन्दू धर्म से संबद्ध रहे हैं, इसलिए मुसलमान इनको प्रोत्साहित नहीं होने देना चाहते थे । वे ऐसी किसी भी चीज को उन्नति की ओर अग्रसर होता हुआ नहीं देख सकते थे, जो हिन्दू धर्म की उन्नति में सहायक हो। इन विघ्नों के होते हुए भी संस्कृत नाटक लिखे जाते रहे । जब से अङ्गरेजी राज्य प्रारम्भ हुआ, तब से कवियों और विद्वानों को राजाओं का आश्रय मिलना बन्द हो गया, क्योंकि तब से राजाओं की स्थिति दिन-प्रतिदिन अवनत होती गयी । दूसरी ओर सुशिक्षित समाज की यह प्रवृत्ति हो गयी कि वह अङ्गरेजी राज्य की प्रथा के अनुसार अपने आपको शिक्षित और दीक्षित करना चाहता था, अतः उसने भारतीय परम्परा और संस्कृति को छोड़कर पाश्चात्य परम्परा को अपनाया। अतएव संस्कृत नाटकों का प्रतिदिन ह्रास होता गया।