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________________ भूमिका देने के विषय में सर्वथा उदासीन हैं । इस विषय में अन्य किसी स्थान से भी कोई सूचना नहीं मिलती अतएव किसी भी कवि का पूर्ण परिचय, उसकी जन्मतिथि, उसकी रचनाए, उसके समकालीन लेखकों के विषय में कुछ परिचय नहीं मिलता। निश्चित सूचना के अभाव में कतिपय विषयों पर संदेह होना संभव ही है । वाल्मीकि, कालिदास, भवभूति, दण्डी इत्यादि नाम व्यक्ति-विशेष की अपेक्षा उपाधि-सूचक शब्द के तुल्य प्रतीत होते हैं । कुछ कवियों जैसे भट्टारहरिचन्द्र, मेण्ठ इत्यादि का केवल नाममात्र मिलता है और उनकी रचनाएँ नष्ट हो चुकी हैं। एक नाम वाले कुछ कवियों के नाम से कुछ ग्रन्थों का नामोल्लेख किया जाता है, परन्तु वे वस्तुतः उनके लिखे हुए नहीं है । किन्तु यह भी नहीं कह सकते कि उनके लिखे हुए नहीं हैं, क्योंकि इस प्रकार के निषेध का कोई आधार नहीं है। ___ ऊपर जो कुछ कहा गया है वह कालिदास तथा अन्य बहुत से कवियों के विषय में लाग होता है। भवभूति तथा अन्य कुछ कवियों ने अपने विषय में कुछ उपयोगी सूचनाएं दी हैं। जो जितने प्राचीन कवि हैं, उनके विषय में परिचय पाने में उतनी ही कठिनाई पड़ती है । वेद, रामायण, महाभारत, पुराण तथा अन्य कुछ ग्रन्थ ऐसे हैं, जिनमें ऐतिहासिक महत्त्व की सामग्री वस्तुतः उपलब्ध होती है । इनमें से कुछ में राजद्वार का विशद चित्रण तथा समसामयिक घटनाओं का उल्लेख है । इन न्यूनताओं के साथ महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों का नाश भी हुआ है। यूनानी और मुसलमान बहुत से ऐसे अप्राप्य ग्रन्थ अपने साथ ले गए, जो कि अब न उनके पास हैं और न भारतवासियों के पास । हिन्दू समालोचकों से अपनी रक्षा के लिए बौद्ध अपने बहुमूल्य ग्रन्थों को तिब्बत और चीन ले गए और वहाँ पर तिब्मतीय और चीनी भाषा में उनका अनुवाद किया। अंग्रेज और जर्मन विद्वान् भी बहुत से दुर्लभ ग्रन्थों को यहाँ से लें गए हैं। इनमें से कुछ ग्रन्थों के प्राप्त होने से भी प्राचीन भारत के साहित्यिक इतिहास पर कुछ प्रकाश पड़ सकता है।
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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