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________________ संस्कृत साहित्य का इतिहास यह ईसा से पूर्व की कृति है, जब मनु, वसिष्ठ और आपस्तम्ब ही धर्म के विषय में प्रमाण माने जाते थे । शाकुन्तल का वर्णन इन स्मतियों के कथनों से मिलता हुआ है । वृहस्पति और याज्ञवल्क्य आदि के अनुसार चोरी आदि का इतना कठोर दण्ड नहीं है अतः इन स्मृतियों से पूर्ववर्ती कालिदास को मानना चाहिए। कालिदास ने मालविकाग्निमित्र के भरतवाक्य में अग्निमित्र शब्द का प्रयोग किया है। इससे ज्ञात होता है कि कालिदास का सम्बन्ध शुंगवंशी राजा अग्निमित्र से था । कालिदास ने अपने अन्य दो नाटकों में जो भरतवाक्य दिए है, वे सामान्य रूप से सबकी समृद्धि की कामना करते हैं, परन्तु इसमें अग्निमित्र के नाम से उसके साथ कुछ सम्बन्ध ज्ञात होता है । इस नाटक में राजनीतिक महत्त्व की जो घटनाएँ दी गई हैं, उनसे ज्ञात होता है कि अग्निमित्र के जीवनकाल में घटित घटनाओं को कालिदास भली प्रकार से जानता था । ये घटनाएँ कालिदास के इस नाटक को छोड़कर अन्यत्र कहीं भी नहीं प्राप्त होती हैं। इससे ज्ञात होता है कि कालिदास अग्निमित्र का समकालीन था या वह प्रथम शताब्दी में हुआ था, जब जनता उन घटनाओं को ठीक ढंग से जानती थी । अग्निमित्र विदिशा का राजा था । कालिदास ने अपने मेघदूत में विदिशा को एक समृद्ध प्रदेश माना है । इससे भी उपर्युक्त कथन का समर्थन होता है। इन प्रमाणों के आधार पर यह मानना उचित है कि कालिदास प्रथम शताब्दी ई० पू० में हुआ था और वह विक्रमीय संवत् के संस्थापक विक्रमादित्य का समकालीन था। ___ कालिदास ने दो महाकाव्य रघुवंश और कुमारसंभव, एक गीतिकाव्य मेघदूत और तीन नाटक मालविकाग्निमित्र, विक्रमोर्वशीय और शाकुन्तल लिखे हैं। कालिदास के महाकाव्य कुमारसंभव आठ सर्गों का महाकाव्य है। इसमें शिव और पार्वती के विवाह तथा कात्तिकेय की उत्पत्ति का वर्णन है । तारक नामक राक्षस के द्वारा
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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