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________________ १०४ संस्कृत साहित्य का इतिहास राजा पुरूरवा ने अपने पराक्रम के द्वारा जीता है। दिग्विजय-यात्रा के समय समुद्रगुप्त को कावेरी नदी के तट पर पाण्ड्य राजा ने पीछे हटा दिया था, अतः समुद्रगुप्त की दिग्विजय-यात्रा रघु को दिग्विजय-यात्रा के लिए आदर्श नहीं हो सकती है । कालिदास के अनुसार रघु ने कावेरी के नीचे भी प्रायः संपूर्ण दक्षिण भारत पर विजय प्राप्त को । हूण २य शताब्दी ई० पू० से भारत के पश्चिमी भाग में विद्यमान थे, अतः रघुवंश में हूण शब्द के प्रयोग से यह सिद्ध नहीं किया जा सकता है कि कालिदास गुप्त-काल में थे । कालिदास को प्रथम शताब्दी ई० से बहुत बाद का सिद्ध करने के लिए एक और प्रमाण उपस्थित किया जाता है । बौद्ध दार्शनिक और कवि अश्वघोष प्रथम शताब्दी ई० में हुआ है । इसके दोनों ग्रन्थों बुद्धचरित और सौन्दरनन्द के कुछ वाक्य और वर्णन कालिदास के ग्रन्थों के वर्णनों से मिलते हैं । अश्वघोष ने बुद्ध का राजमार्ग पर निकलने का जो वर्णन किया है, वह कालिदास के कुमारसम्भव में शिव के और रघुवंश में अज के राजमार्ग पर निकलने के वर्णन से बहुत अंशों में समान है। इससे ज्ञात होता है कि कालिदास ने अश्वघोष से ये वर्णन लिए हैं । यह विचार भी मान्य नहीं है । इन दोनों कवियों के ग्रन्थों में समानता अवश्य है । परन्तु इससे यह सिद्ध नहीं होता है कि कालिदास ने उपर्युक्त वर्णन अश्वघोष से लिया है । गौतम बुद्ध दिन में साधारण रूप में राजमार्ग पर जा रहे हैं। इस प्रसंग में अश्वघोष ने लिखा है कि स्त्रियाँ अपनी नींद से उठीं और अपने केशादि-प्रसाधन की ओर ध्यान न देकर सहसा बुद्ध के दर्शनार्थ खिड़की पर जाती हैं । यहाँ पर इस प्रसंग में उनकी निद्रा, शृङ्गार और बुद्ध-दर्शन की अभिलाषा इस बात को प्रकट करती है कि यह वर्णन अप्रासंगिक है और अन्य किसी ग्रन्थ से लिया गया है। कालिदास के ग्रन्थों में यह वर्णन उन्हीं शब्दों में दुहराया गया है। यदि कालिदास ने यह वर्णन अन्य किसी ग्रन्थ से उद्धृत किया होता तो वह इसको दो स्थलों पर उसी रूप में रखने
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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