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प्रथम दाल
तिर्यंचपंचेन्द्रिय जीव नरकमें जाकर उत्पन्न होते हैं।
शंका-नरकोंसे निकलकर जीव किस-किस गतिमें उत्पन्न हो सकता है ?
समाधान-नरक से निकलकर कोई भी जीव पुनः तदनन्तर भावी पर्यायमें न नरकमें ही जा सकता है, न देव ही हो सकता है, किन्तु मनुष्य और तिर्यग्गतिमें उत्पन्न होता है । किन्तु सातवें नरक से निकला हुआ जीव नियमसे पंचेन्द्रिय तिर्यंच ही होता है ।
शंका- क्या नरकोंसे निकला हुआ जीव सर्व प्रकार के मनुष्य में उत्पन्न हो सकता है ?
समाधान-नरकोंसे निकला हुआ जीव नारायण, प्रतिनारायण, बलभद्र और चक्रवर्ती नहीं हो सकता, न भोगभूमिया मनुष्य या तिच ही हो सकता है। तीसरे नरक तकसे निकला हुआ जीव तीर्थंकर हो सकता है, इससे नीचेका नहीं । चौथे नरकसे निकला हुआ जीव चरमशरीरी हो सकता है । पांचव नरक से निकला हुआ जीव सकलसंयमी हो सकता है । छठे से निकला हुआ व देशसंयमी तक हो सकता है । सातवें नरक से निकला हुआ जीव मनुष्य नहीं हो सकता है, किन्तु तिर्यंच ही होता है । पर उनमें कोई विरला प्राणी सम्यक्त्वको प्राप्त कर सकता है ।
शंका - नरक से निकला हुआ जीव पुन: नरकमें कितने बार उत्पन्न हो सकता है ?