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হালা __ सातों नरकोंके कुल बिलोंकी संख्या चौरासी लाख है । इनमें से प्रथम नरकमें ३० लाख बिल, दूसरेमें २५ लाख, तीसरेमें १५ लाख, चौथेमें १० लाख, पांचवेंमें ३ लाख, छठेमें ५ कम एक लाख
और सातवें नरकमें सिर्फ ५ बिले हैं । इनमें ऊपर के ८२ लाख बिलोंमें उष्ण वेदना है और नीचे के २ लाख बिलोंमें शीत वेदना है । गर्मीकी अपेक्षा सर्दीकी वेदना अधिक होती है इसलिए पांचवें नरकके आधे भागसे नीचे शीत वेदना बतलाई गई है। ___नारकियोंको भूख-प्यास का महान् कष्ट सहन करना पड़ता है । निरन्तर असह्य प्यास लगी रहने पर भी जलकी एक बूंद पीनेको नहीं मिलती है, यदि कभी भूल कर वे वैतरणी नदीका एक ट मुँहमें डाल लेते हैं, तो प्यास बुझनेकी जगह असंख्य वेदना और नई उत्पन्न हो जाती है । यही दशा भूखकी है, निरन्तर भूखका कष्ट उठाने पर भी खानेको अन्नका एक दाना नहीं मिलता है। भूखकी असह्य वेदना से पीड़ित हो वे नारकी वहांकी अत्यन्त तीखी, कड़वी और दुर्गन्धित थोड़ी-सी मिट्टीको वे चिरकाल में खाते हैं । उस मिट्टी से इतनी दुर्गन्ध आती है और वह इतनी जहरीली होती है कि यदि पहले नरककी मिट्टी यहां लाकर डाल दी जाय, तो एक कोशके भीतर रहनेवाले समस्त जीव मर जायं । इसका यह जहरीलापन और घातकशक्ति आगेके नरकोंमें क्रमशः आधा-आधा कोश बढ़ती गई है, इस