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चौथी. ढाल मृष्टास्तरण नामका तीसरा अतिचार है। उपवासके दिन भूख आदिसे पीड़ित होनेके कारण आदर और उत्साह नहीं रखना सो अनादर नामका चौथा अतिचार है । उपवास के दिन जिन क्रियाओंकी अतात्यन्त आवश्यकता है, उन्हें प्रमाद, कषायावेश भूखादि किसी कारणसे भूल जाना सो अस्मरण नामका पाँचवाँ अतिचार है । प्रवासमें रहने आदि किसी अन्य कारणसे अष्टमी चतुर्दशी आदि तिथिको ही भूल जाना सो भी इसी पाँचवें अतिचारके अन्तर्गत जानना चाहिये।
(३) भोगोपभोगपरिमाणव्रतके अतिचार:-पंचेन्द्रियोंके विषय रूपी विषसे उदासीनता न होकर उनमें आदर बना रहना सो अनुपेक्षा नामका पहला अतिचार है । विषय-भोग कर लेनेके पश्चात् भी पुनः पुनः उसकी याद आना, किसी नवीनमिष्टान्न श्रादिके खा लेनेके बाद भी बार बार उसकी याद आना सो अनुस्मृति नामका दूसरा अतिचार है । वर्तमान कालमें उपलब्ध भोग-उपभोगके साधनोंमें अत्यन्त गृद्धि रखना सो अतिलौल्य नामका तीसरा अतिचार है। भविष्यकालमें हमें अमुक भोगउपभोगकी प्राप्ति होती रहे इस प्रकारकी आकांक्षा करना सो अतितृषा नामका चौथा अतिचार है। अतीत (भूत) कालमें सेवन किये हुये भोग-उपभोगोंका वर्तमानमें उपभोग नहीं करते
*ग्रहणविसर्गास्तरणान्यदृष्टमृष्टान्यनादरास्मरणे । - यत्प्रोषधोपवासव्यतिलंयनपंचकं तदिदम् ॥
रत्नक०