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चौथो ढील कर दुःख पहुँचाना छेदन-नामक अतिचार है । गाय-भैंस आदिको रस्सी आदिसे बांध कर रोके रखना बंधन नामका अतिचार है २ । जीवोंको लकड़ी, कोड़ा, चाबुक आदिसे मारना पीटना, पीड़न नामका अतिचार है ३ । जो पशु या मनुष्य विना किसी कष्टका अनुभव किये जितना बोझा लादकर ले जा सकता है उससे अधिक भारका लादना अति-भारारोपणनामका अतिचार है ४.। अपने अधीन नौकर चाकर और गाय-भैंस आदिको समय पर खाना पीना न देकर भूखा प्यासा रखना अन्नपाननिरोध नामका अतिचार है ५। यहां इतना विशेष जानना कि प्रमाद या कषायके वश होकर जो मार-पीट आदिकी जाती है उससे ही व्रतमें अतिचार लगता है अन्तरङ्गमें सुधारकी भावनासे किसी अपराधीको दंड देने पर अतिचार नहीं लगता।
(२) सत्याणुव्रतके अतिचार शास्त्रके विरुद्ध कुछका कुछ झूठा उपदेश देना मिथ्योपदेश नामका अतिचार है इसे परिवाद भी कहते हैं १ । स्त्री पुरुष आदिकी गुप्त बातचीत या गुप्त आचरणको बाहर प्रगट करदेना रहोभ्याख्यान नामका अतिचार है २। किसीके मुख-विकार आदि चेष्टासे उसके मनका गुप्त अभिप्राय जान कर ईप्यासे दूसरेको कह देना, किसीकी गुप्त-मन्त्रणा को प्रगट कर उसका भण्डा फोड़ कर देना पैशुन्य नामक का अतिचार
"छेदनबन्धनपीडनमतिभांरारोपणं व्यतीचाराः। पाहारवारणापि च स्थूवधाद्व्युपरतेः पंच ॥
रत्नकरण्ड.