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________________ freurfer feers fuकारः । मारम्भ समारम्भ हुन्ता - कर्षण (खेती) आदिक कुशील वाणिज्य व्यापारादिक सावद्यकरणो करता हुन्ता, तेहने पिण परलोकना आराधक कह्या । ते पण सम्यक्त्व तथा श्रावक रा व्रतां रे लेखे आराधक कह्या, पिण तेहनी सावद्य करणी आज्ञामें नहीं । तिम प्रथम गुण ठाणा रा धणीने "परलोकना आराधक म थी" इम कह्या ते सम्यक्त्व नथी ते आश्री कह्या पिण तेहनी निरवद्य करणी आज्ञा वाहिरे नहीं । विराधकवालां री सर्वकरणी आज्ञा वाहिरे कह विराधक कह्यां माटे, तो तिणरे लेखे आराधकवाला सम्यग्दृष्टि श्रावकांरी करणी सर्व आशा कहिणी आराधक कह्यां माटे । अने जो आराधक वाला सम्यग्दृष्टि rasi री अशुद्ध करणी आज्ञा वाहिरे कहे तो अनाराधक वाला प्रकृतिभद्रकादि मनुष्य मिथ्यात्वीरी शुद्ध करणी जे छे, ते भाज्ञामाहीं कहिणी एतो वीतराग रो सरल सूत्र मार्ग छै । जिण मार्ग में कपटाई रो काम छै नहीं । वली विराधक आराधक रो नाम लेइ शुद्ध करणी आज्ञा वाहिरे थापे तेहने पूछा कीजे--कृष्ण श्रेणकादिकने आराधक कहीजे, विराधक कहीजे, : आराधक कहे तो तेहना संग्राम कुशीलादिक आशामें कहिणा तिण रे लेखे । अनें जो विराधक कहै तो तिण लेखे कृष्णादिक धर्म दलाली करी श्री जिन वांद्या ए करणी आज्ञा वाहिरे कहिणी । ये न्याय वतायां शुद्ध जाव देवा असमर्थ तिवारे अक वक बोले । केइ क्रोधरो शरण गहै । तेहने सांची श्रद्धा भवणी घणी दुर्लभ छे । अनें जो वादी कम्म न्याय सुणी शुद्ध श्रद्धा धारे खोटी श्रद्धा छांडे पिण ऊधो श्रद्धा रीटेक म राखे ते उत्तम जीव जाणवा । डाहा हुवे तो विचारि 1 जोईजो I इति १५ बोल सम्पूर्ण । २७ haar एक इन है जो प्रथम गुण ठाणा रा धणीरी करणी आज्ञामाही छै - मिथ्यात्व तो तिने मिथ्यादृष्टि मिथ्यात्व गुण ठाणे क्यूं कह्यो । है, जेहने तिणने मिथ्यात्वी कह्यो तेहने कतियक श्रद्धा बक बोळ ऊभा छै, तिहां जे जे बोल ऊधा ते तो मिथ्यात्व तेहनो उत्तर--1 संवली छे अने के भने जे केतल
SR No.032041
Book TitleBhram Vidhvansanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherIsarchand Bikaner
Publication Year1924
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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