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भ्रम विध्वंसनम्।
अथ इहां भगवान् पिग कह्यो। हे गोशाला! म्हे तोने प्रव्रज्या दीधी. म्हे तोने मूख्यो शिष्य कसो, बहुश्रुति कियो. ए तो चौड़े दीक्षा दीधी कही छै। इहां केइ अगहुंती विभक्ति रो नाम लेई कहे:। इहां पांचमी विभक्ति छै। "भगवया चेव पव्याविए” ते भावन्त थको प्रव्रज्या आई. पिण भगवन्त प्रव्रज्या न दीधी। इम कहे ते झूठ रा वोलणहार छै । “भगवया" पाठ तो ठाम २ कह्यो छै। दश. वैकालिक अ० ४ कह्यो ‘भगवया एवमक्खायं” त्यारे लेखे इहां पिण पांचमी विभक्ति कहिणी। भगवन्त थकी म कह्यो, अनें भगवान् न कह्यो तो ए छः जीवषी काय अध्ययन केणे कयो। पिण इहां पञ्चमी विभक्ति नहीं. तीजी विभक्ति छै। ते कर्ता अर्य ने विषे तीजी विभक्ति अनेक जागाँ छै। सूयगडाङ्ग अ० १ कह्यो “ईसरेण कडे लोप" ईश्वर लोक कीधो। इहां पिण कर्ता अर्थ ने विषे तीजी विभक्ति छै। तिम 'भगवया चेव पञ्चइये" इहां पिण कर्ता अर्थ ने विषे तीजी विभक्ति छै । वली भगवन्ते गोशाला ने कह्यो "तुम मए चेव पब्बाविए" इहाँ पिण कर्ता अर्थ में विषे तीजी विभक्ति छै । ते "मए” पाठ अनेक ठामे कह्या छै। भगवती श० ८ उ० १० कह्यो। 'मए चत्तारि पुरिस जाया पण्णत्ता" इहां "मए'' कहितां म्हे च्यार पुरुष परूया। तिम “मए चेव पब्बाविए" कहितां म्हे प्रव्रज्या दीधी। इहां पिण कर्ता अर्थ ने विषे तीजी विभक्ति छ। तिवारे कोई कहे "मए" इहां तीजी विभक्ति किहां कही छै। तेहनों उत्तर-अनुयोग द्वार में ८ विभक्ति ओलखाई छै। तिहां 'मए' शब्द रे ठामे तीजी विभक्ति कही छै । ते पाठ लिखिये छै ।
तत्तिया कारणं मिकया, भणियंच कयंच तेणं वा मएवा।
( अनुयोग द्वार, नाम विषय
त० तृतीया विभक्ति. का० कारण ने विवे. क० को धो. ते दिखाई छै. भ० भण्यू. क. कोचूंते ते पुरुष. म० म्हे. वा० अथवा
___ अथ इहां “मए फहितां तीजी विभक्ति कही छ। ते माटे भगवान् गोशाला ने कह्यो। “मए चेव पन्चाविए' म्हे प्रव्रज्या दीधी। इहां पिण तीजी विभक्ति छै। इम च्यार ठामे गोशाला री दीक्षा चाली छै । प्रथम तो भगवते कयो-म्हे गोशाला ने अङ्गीकार कियो। वली सर्वानुभूति साधु कह्यो। हे