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भ्रम विध्वंसनम् ।
2000
श्रीमत्तेरापन्थनायक भिक्षुगणि चतुर्थ पट्ट स्थित मुनिराज श्री “जयाचार्य' विरचितम्
तच्च - गङ्गाशहर ( बीकानेर ) स्थेन _ "ईसरचन्द” चौपड़ाऽभिधेन मुद्रापितम्। शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिका न गजे गजे । साधवो नहि. सर्वत्र चन्दनं न बने बने ।
000
विक्रमाब्द
वीर निवार्णाब्द
२४५०
कलकत्ता
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न. १, सिनामा स्वीटर इमाम गली के
ओलचाल प्रेस में बाबू सहालगन्द आयेद द्वारा मुछित । १०
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द्वितीयावृति २०००]
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| मूल्य ५) ***bye
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