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भ्रम विध्वंसनम्।
अनन्ती वार असंयम जीवितव्य जीव्यो अनन्ती वार बाल मरण मुओ पिण गर्ज सरी नहीं ते भणी असंयम जीवितव्य वांछ्यां धर्म नहीं। ज्ञान, दर्शन. चरित्र. तप. ए चारू मुक्ति रा मार्ग आदरे. तथा आदरावे, ते तिरणो वांछ्यां धर्म छै। डाहा हुचे तो विचारि जोइजो।
इति २ बोल सम्पूर्ण।
केतला एक कहे असंयती रो जीवणो बांछयां धर्म नहीं तो नेमिनाथ जी जीवां रो हित बंछ्यो-इम कह्यो त्यां जीयां रे मुक्ति रो हित थयो नहीं ।
ते माटे जीवां रो जीवणो बांछयो ये जीवा रो हित छै। इम कहे। वली "साणुकोसे जिएहि उ' ए पाठ रो ऊधो अर्थ करी जीवां रो हित थापे छै । (साणुकोस-कहितां अनुकंपा सहित, जिएहिउ-कहितां जीवां रो हित बाँच्यो) ते जीवां रो जीवणो बंड्यो इम कहे ते झूठ रा बोलणहार छै। ए तो बिपरीत मर्थ करे छै। त्यां जीवां रे जीवण रे अर्थे तो नेमिनाथजी पाछा फिसा नहीं । ए जो जीवांरी अनुकम्पा कही तेहनो न्याय इम छै। जे माहरा व्याह रे बास्ते या जीवां ने हणे तो मोनें तो ए कार्य करवो नहीं । इम विचारि पाछा फिरखा। ए तो अनुकम्पा निरवद्य छै। अने जीवां रो हित बांछयो सूत्र रो नाम लेइ कहै ते सिद्धान्त रा अजाण छै । तिहां तो इम कह्यो छै ते पाठ लिखिये छै ।
सोऊण तस्स वयणं बहुपाणि विणासणं । चिंतेइ से महापन्नो साणुकोसो जिएहि उ॥१८॥
। उत्तराध्ययन अ०२२ गा० १८)
सो० सांउली ने त० तं सारथी नों. श्री नेमिनाथ बचन. ब० घणा. पा. प्राणी जीव नों वि विनाशकारी बचन सांभली में. चि० चिन्तो. से० ते. म० महा प्रज्ञावन्त. सार या सहित. जि. जीवां न विष. हपूर्ण