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श्राद्धविधि/३३८
के बड़ी होने पर "यह कन्या किसे देंगे?" यह चिन्ता सताती है तथा देने के बाद 'यह सुखपूर्वक रहेगी या नहीं ?" यह चिन्ता सताती है। इस प्रकार कन्या का पिता बनना कष्टकारी ही है।
इसी बीच कामदेव के गौरव को बढ़ाने के लिए बसन्तराज ने अपनी पूर्ण ऋद्धि के साथ वन में प्रवेश किया।
वृद्धिंगत अहंकार वाले कामदेव ने तीन जगत् पर विजय प्राप्त की है, इसलिए मानों उस विजय से उत्पन्न कीर्ति का गान करने के लिए तीन गीत नहीं गाये जा रहे हों, इस प्रकार मलयाचल का पवन सीत्कार कर रहा था, भ्रमरों का समूह झंकार कर रहा था तथा वाचाल कोयलों का मनोहर कलरव सुनाई दे रहा था।
हर्ष से आकृष्ट चित्तवाली तथा क्रीड़ारस से अत्यन्त उत्सुक बनी वे राजकन्याएँ वन की ओर चल पड़ी। उस समय हाथी के बच्चे, घोड़े, खच्चर, बैल, शिबिका तथा रथ मादि अनेक वाहनों में आरूढ़ हुई अनेक सखियाँ भी साथ चलीं।
__सखियों के साथ सुखपूर्वक सुखासन पर बैठी हुई वे कन्याएँ विमान में देवियों के परिवार के साथ बैठी हुई लक्ष्मी व सरस्वती की भाँति शोभने लगीं।
शोक को नष्ट करने वाले अनेक प्रशोक वृक्षों से व्याप्त अशोक वन नाम के उद्यान में वे पहुँच गयीं।
प्रीति से चमकीली पुतली वाली आंखों से भ्रमर वाले पुष्पों का मानों मिलाप कराती हो ऐसी उन्होंने उस उद्यान को देखा। उसके बाद सुन्दर हरिचन्दन की लकड़ियों से बने हुए, कीमती स्वर्ण व मोती जड़े हुए, झलते हुए चामरों से युक्त तथा लाल अशोक वृक्ष की शाखा से बंधे हुए, लीलावाली स्त्रियों के चित्त के जैसे चंचल झूले पर अशोकमञ्जरी बैठी। पहले तिलकमंजरी बड़े जोर से अशोकमञ्जरी को भुलाने लगी। पत्नी के अधीन पति, पत्नी के पादप्रहार से खुश होकर रोमांचित होता है, उसी प्रकार तिलकमंजरी के पादप्रहार से पुष्पों के उद्गम से कंकेलि (अशोक) वृक्ष पुलकित हो गया। झूले में भूलती हुई वह विविध प्रकार के विकारों द्वारा युवकों के मन व नेत्रों को भी झुला रही थी।
___ रुनझुन शब्द करने वाले उसके मेखला आदि प्राभूषण मानों टूटने के भय से अत्यन्त आवाज कर रहे थे । क्रीड़ारस में प्रासक्तहृदय वाली प्रशोकमंजरी की ओर तरुण युवक रोमांच से व तरुण स्त्रियाँ ईर्ष्या से देख रही थीं। इसी बीच दुर्भाग्य से अत्यन्त प्रचण्ड व तीव्र वेग के कारण वह झूला टूट गया और उसका क्रीड़ारस भी टूट गया।
नाड़ी के टूटने से जैसे लोग व्यग्र होते हैं उसी प्रकार उस झूले के टूटने के साथ ही सभी लोग 'प्रब क्या होगा ?' इस प्रकार सोचते हुए पाकुल-व्याकुल हो गये। इतने में मानों कौतुक से स्वर्ग में जा रही हो, इस प्रकार झूले सहित आकाश में उड़ती हुई चपलनेत्र वाली प्रशोकमंजरी को प्राकुलव्याकुल हुए लोगों ने देखा।
___ "हाय ! यम के समान कोई अदृश्य पुरुष इसे अपहरण करके ले जाता है" इस प्रकार लोगों ने जोर से हाहाकार मचाया। पास में रहने वाले प्रचण्ड बाण व तीर कमानों को धारण करने