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________________ ६८ अभिनव प्राकृत-व्याकरण उक्का < उल्का — संयुक्तादि ल लुक् और क को द्वित्व । वक्कलं < वल्कलम् 12. " "" सहं < श्लक्ष्णम् — संयुक्तान्त्य ल लुक् और द्वित्वाभाव । विक्कवो विक्लवः - संयुक्तान्त्य ल लुक् और क को द्वित्व । सद्दो शब्दः - संयुक्तादिव लुक् और द को द्वित्व । अद्दो <अब्द: 99 99 पिक्कं पक्त्रम् - संयुक्तान्ध्य व लुक् और क को द्वित्व, पकारोत्तर अको इकार | " धत्थं ध्वस्तम् — संयुक्तान्त्य लुक् ध को द्वित्वाभाव, स्त में संयुक्तादि स् लोप औरत को द्वित्व, उत्तरवर्ती त को थ । अक्को अर्क:- रेफ का लोप और क को द्वित्व | -- वग्गो वर्गः – संयुक्तादि र लुक् और ग को द्वित्व | चक्कं < चक्रम् — संयुक्तादि र लुक् और ग को द्वित्व । हो ग्रहः – संयुक्तान्त्य र लुक् और द्वित्वाभाव । रत्ती रात्रिः — संयुक्तान्त्य र लुक् और त को द्वित्व । K चंदो, चंद्रो चन्द्रः - संयुक्तान्त्य रेफ का लोप और द्वित्वाभाव; मतान्तर से चन्द्र भी बनता है । १ ( १४० ) द्र के रेफ का विकल्प से लुक् होता है । यथा दोहो, द्रोहीद्रोह: - संयुक्तान्त्य रेफ का विकल्प से लोप 1 रुद्दो, रुद्रो रुद्रः – संयुक्तान्त्य रेफ का विकल्प से लोप, लोप होने पर द को fara | भद्दं, भद्रं <भद्रम्—संयुक्तान्त्य रेफ का लोप और द को द्विस्त्र, विकल्पाभाव में लोपाभाव । समुद्दो, समुद्रो समुद्रः – संयुक्तान्तय रेफ का लोप और द को द्विस्व । हदो, हृदो हद - संयुक्तान्त्य रेफ का विकल्प से लोप | ( ११ ) ज्ञा धातु सम्बन्धी न् का लोप विकल्प से होता है एवं अनादि ज को द्वित्व होता है । यथा २ सव्वज्जो, सव्वण्णू< सर्वज्ञः - संयुक्तादि रेफ का लोप, व द्वित्व, न लोप और ज को द्वित्व; ज् लोपाभाव पक्ष में ण को द्वित्व, अ को ऊ । १. द्रेरो वा ३।४. वर० । २. सर्वज्ञतुल्येषु नः ३।५. वर० ।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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