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अभिनव प्राकृत-व्याकरण च. छ० इसि, इसी
इसिहं, इसीहुं इसिहं, इसीहं ५० इसिहे, इसीहे
इसिहं, इसीहुं स० इसिहि, इसीहि
इसिहि, इसीहि, इसिहं, इसिहो,
इसीहो सं० इसि, इसी
इसि, इसी गिरि शब्द के रूप एकवचन
बहुवचन प०, वी. गिरि, गिरी
गिरि, गिरी त. गिरिएँ, गिरिण, गिरि गिरिहिं, गिरीहिं च०,छ० गिरि, गिरी
गिरीहि, गिरिहं, गिरिहुं, गिरीहुं पं० गिरिहे, गिरोहे
गिरिडं, गिरीहुँ स० गिरिहि, गिरीहि
गिरीह, गिरिहं, गिरिहि सं० गिरि, गिरी
गिरि, गिरी, गिरिहो उकारान्त भाणु शब्द के रूप एकवचन
बहुवचन प० भाणु, भाणू
भाणु, भाणू
" " त० भाणुण, भाणुणं, भाणूण
भाणूणं, भाणुएं, भाणूएं, भाणुहि, भाणूहि
भाणु, भाणूं च०,छ० भाणु, भाणू
भाणुहुं, भाणू हुं, भाणुहं, भाणूह पं० भाणुहे, भाणूहे
भाणुहं, भाणू हुँ स० भाणुदि, भाणूहि भाणुहि, भाणूहि, भाणुहुं, भागृहुँ सं० भाणु, भाणू
भाणुहो, भाणूहो, भाणु, भाणू
स्त्रीलिङ्ग शब्द स्त्रीलिङ्ग में प्रायः दीर्घ ईकारान्त शब्द हस्व हो जाते हैं। अकारान्त शब्द उकारान्त हो जाते हैं और देव शब्द के समान उनके रूप बनते हैं।
स्त्रीलिङ्ग के विभक्तिचिह्न एकवचन
बहुवचन
वी.
०, उ, ओ
वी० त०
० ए