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________________ ४४६ एकवचन अभिनव प्राकृत-व्याकरण त. इमेन, इमेनं, नेन इमेदि, इमेहिं, इमेहि च० इमस्स, अस्स, से सिं, इमेसि, इमान, इमानं ५० इमातु, इमातो इमत्तो, इमाउ, इमाओ इमाहितो, इमासुतो छ० इमस्स, अस्स, से इमान, इमानं स० इमस्सि, इमम्मि, अस्सि, इह इमेसु, इमेसु एअ< एतद् बहुवचन प० एस, एसो वी० एतं एते, एता त. एतेन, एतिना एतेहि, एतेहिं, एतेहि च० एतस्स एतेसि, एतान पं० एतातो, एतातु एआउ, एआओ, एआहि, एआहितो, एएहितो छ० एतस्स एतेसिं, एतान स. एत्थ, अयम्मि, एअस्सि एतेसु, एएसं राया< राजन् बहुवचन प० राया रायानो, राइनो वी० राइनं रायं राये, राया, राचिनो, रजो त० राचिजा, राचिना राईहि, राई हिं, राईहिं च० राचिनो, रो राईन, राईन, रायान, रायानं पं० रायातो, रायन्तु, राचिओ, रजो राइनो, राईओ, राईहितो, राईसंतो छ० राचित्रो, रज्जो राईन, राईनं, रायान; रायानं स. राचिजि, रञि रायेस, रायेसं, राईसु, राईसं सं० रायं, राया, रायो। रायानो, राइनो क्रियारूप ( २० ) पैशाची में शौरसेनी के दि और दे प्रत्ययों के स्थान पर ति आर ते प्रत्यय होते हैं। (२१ ) पैशाची में भविष्यकाल में रिस प्रत्यय के स्थान पर एय्य प्रत्यय जोड़ा जाता है। यथा-हुवेय ८ भविष्यति । .. (२२ ) पैशाची में भाव और कर्म में ईअ तथा इज्ज के स्थान में इय्य प्रत्यय होता है। एकवचन २९
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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