________________
राईणं
प०
पा
४२०
अभिनव प्राकृत-व्याकरण च० रायाए, रायाते प० रायाओ, रायातो
रायेहितो ष० रनो
राईणं स. रायसि, रायम्मि, राये रायेसु
संस्कृत के आत्मन् शब्द के स्थान पर अर्धमागधी में अत्त और अप्प आदेश होते हैं । अत: इस शब्द के रूप निम्न प्रकार चलते हैं।
अत्त, अप्प<आत्मन् एकवचन
बहुवचन प्र० अत्ता, अप्पा
अत्ते, अप्पे अत्ताणं, अप्पाणं
अत्त, अप्पे, अप्पा अत्तणा, अप्पणा
अत्तेहि, अप्पेहि अत्ताए, अप्पाए
अत्ताणं, अप्पाणं अत्ताओ, अप्पाओ अत्ताहितो, अप्पाहतो अत्तणो, अप्पणो
अत्ताणं, अप्पाणं स० अत्तंसि, अप्पंसि, अत्तम्मि, अत्तेसु, अप्पेसु
अप्पम्मि जस, मण, वय, काय, तेय, चक्खु और जोग शब्द के तृतीया एकवचन में जससा, मणसा, वयसा, कायसा, तेयसा, चक्खुसा; जोगसाः षष्ठी के एकवचन में जससो, जसस्स; मणणो, मणस्स; वयसो, वयस्स; कायसो, कायस्स; तेयसो, तेयस्स; चक्खुसो, चक्खुस्स; जोगसो, जोगस्स एवं सप्तमी विभक्ति एकवचन में मणसि, मणसि, मणमिः वयसि, वयंसि, वयंमिः कायसि, कायंसि, कायंमिः तेयसि; तेयंसि, तेयंमि; चक्खुसि चक्खुसि, चखुमि और जोगसि, जोगसि, जोगंमि रूप बनते हैं।
इकारान्त मुणि शब्द के रूप .. एकवचन
बहुवचन प्र० मुणी
मुणिणो, मुणी
मुणिणो, मुणी तृ० मुणिणा, मुणिस्स मुणोहि, मुणीहि
मुणिणो, मुणिस्स मुणीणं मुणिणो, मुणीओ मुणीहितो मुणिणो, मुणिस्स मुणीणं
मुर्णिसि, मुणिमि, मुणी मुणीसु सं० भो मुणि, भो मुणी
भो मुणिणो
द्वि०
मुणिं
च०