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अभिनव प्राकृत-व्याकरण
[ ध्वनि-परिवर्तन, सन्धि, सुबन्त, स्त्रीप्रत्यय, कारक, समास, तद्धित, तिङन्त कृदन्त, नामधातु सम्बन्धी अनुशासनों के साथ धातु कोष ; शौरसेनी, अर्धमागधी, अपभ्रंश प्रभृति विभिन्न प्राकृतों के विशिष्टानुशासनों एवं भाषावैज्ञानिक सिद्धान्तों से समलंकृत ]
डा. नेमिचन्द्र शास्त्री
ज्यौतिषाचार्य, न्यायतीर्थ, एम० ए० ( संस्कृत, हिन्दी और प्राकृत एवं
. जैनोलॉजी), पी-एच०डी०, गोल्डमेडलिस्ट संस्कृत एवं प्राकृत विभाग, एच०डी० जैन कालेज, आरा
(मगध विश्वविद्यालय)
तारा पब्लिकेशन्स..
कमच्छा, वाराणसी ...
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