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________________ 'आण आणंद आणक्स आणम आणव आणाव आणी, आणे आणे 'आदिय आधरिस आपुच्छ आफाल आबंध आभोय आमंत आमुय, आमिल्ल, आ + N मुच अभिनव प्राकृत-व्याकरण ३४३ Vज्ञा, आ +vनी जानना; लाना, आनयन करना आ+ नन्दू आनन्द पाना परीक्षा करना श्वास लेना आ+ ज्ञापय आज्ञा देना आ% नायय सँगवाना आ + नी लाना जानना आ + Vा ग्रहण करना आ + Vधर्षय परास्त करना, तिरस्कार करना आ + प्रच्छ आज्ञा लेना, सम्पत्ति देना आ + स्फालय आघात करना आ+ Vबन्ध मजबूत बांधना आ + Vभोगय देखना, जानना आ + vमन्त्रय आह्वान करना, सम्बोधन करना छोड़ना, उतारना, त्यागना आ+ मश् थोड़ा स्पर्श करना आ + मुद् खुश होना आ + Vतञ्च सींचना, छिटकना विप कांपना, हिलना आ + Vकर्णय सुनना, श्रवण करना आ+ चम् आचमन करना आ + Vचर औचरण करना, व्यवहार करना Vलम्ब व्याप्त होना आ+ Vया, + दा आना, आगमन करना; ग्रहण करना आ+ यमय लम्बा करना आ + Vकारय बुलाना आ + Vयासय कष्ट देना, खिन्न करना आ+ रभ आरम्भ करना आ+ स्ट आ + राधय सेवा करना, भक्ति करना आ+रुष क्रोध करना, रोष करना आमुच आमुस आमोअ आयंच आयज्झ आयण्ण आयम आयर आयल्ल आया आयाम आयार आयास आरंभ आरउ आराह आरुस । -चिल्लाना
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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