SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 371
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४० अवचि अवजाण अवट्ट अवट्ठव, अवठंभ अवडाह अवणम अवणी अवत्थाव अवदाल अवधार अवधाव अवधुण अवबुज्झ अवभास अवमज्ज अवमण्ण अवयक्ख अवयर, अवरुह अवयास अवरज्म अवरंड अवलंब अभिनव प्राकृत-व्याकरण अप + चि, अव + चि हीन होना, कम होना; इकट्ठा करना अप+ज्ञा अपलाप करना अप+Vत् घुमाना, फिराना अव + स्तम्भ अवलम्बन करना उत् + क्रुश ऊँचे स्वर से रुदन करना अव+ नम् नीचे नमना अप+नी दूर करना, हटाना अव + स्थापय स्थिर करना, ठहरना अव+दलय खेलना अव + Vधारय निश्चय करना अप + Vधाव पीछे दौड़ना अव + vधू परित्याग करना अव + Vबुध जानना, समझना अव + भास चमकाना, प्रकाशित करना अव + ज् पौंछना, साफ करना, झाड़ना अव + मन् तिरस्कार करना, अवज्ञा करना अप + इक्ष अपेक्षा करना, राह देखना अब + Vतृ, रुह नीचे उतरना, जन्म ग्रहण करना श्लिष , अब + काश् आलिंगन करना; प्रकट करना अप + राध अपराध करना आलिंगन करना अव+लम्ब ,अप+लप सहारा लेना, आश्रय लेना; असत्य बोलना अव +लोक् देखना, अवलोकन करना अव + Vकाश अवकाश देना, जगह देना अव + Vवष्क पीछे हट जाना अव + सप् पीछे हटना अव+स् आश्रय करना अव + सद् हारना, पराजित होना अव+सद् क्लेश पाना, खिन्न होना उद् + Vवा सूखना रच निर्माण करना, बनाना अप + हस्तय हाथ को ऊँचा करना अवलोअ अववास अवसक्क अवसप्प अवसर अवसिज्ज अवसीय अवसुअ अवह अवहत्थ
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy