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अभिनव प्राकृत-व्याकरणे
बहुल संज्ञा-विकल्प की "बहुल" संज्ञा भी होती है। रित संज्ञा रेफ की "रित' संज्ञा होती है। लुकू संज्ञा-लोप की "लुक्" संज्ञा होती है।
उवृत्त स्वर व संज्ञा-व्यंजन घटित स्वर से व्यंजन का लोप हो जाने पर जो स्वर शेष रह जाता है, उसकी “उवृत्त स्वर" संज्ञा होती है।
२. रितो द्वित्वल १।४।८५ त्रि० ।
१. बहुलम् १।१।१७ त्रि० । ३. स्वरस्योवृत्ते ८।१।८ हे०1