________________
अभिनव प्राकृत - व्याकरण
कुछ क्रियाओं के प्रेरणार्थक रूपों का संकेत
धातु
वर्तमान
भूत
पड ( पत्)
पाडइ
पाडीअ पाडिहि पाडउ
आहोड ( तड़ ) आहोडइ आहोडीअ आहोडिहिइ आहोडउ
नासवीअ नासविहिइ
नाव (नश् ) नासवइ दरिस (दृश् ) रिस
मिस्स (मिश्र) मिस्सइ
अप्प ( अर्प )
अप्पइ
दूम (दू )
दूमइ
वा (वा)
वाअइ
ठा (स्था )
झा ( ध्यै )
ठाअइ
भाअइ
हाइ
गाअइ
भाड (भ्रम् ) भमाडइ
सोल (शुष)
सोसाइ
तोसइ
तो (तु) रूस (रुष ) रूसइ मोह (मुह ) मोहइ
नावइ
नव (नम् ) पूस (पुष)
खम् (क्षम् )
(
गा (गै )
)
दरिसीअ दरिसिद्दि
मिस्सीअ मिस्सिहिइ
अपीअ
अपिहि
दूमिहि
वाहि
ठाइि
दूमीअ
वाअसी
ठाअसी
झाअसी
भविष्यत् विधि एवं आज्ञा क्रियातिपत्ति
हि
हासी हाeिs
गाअसी गाइि
भमाडीअ भमाडिहि
सोसीअ सोसिहिइ
तोसीअ
तोसहि
रूसी
रूसहि
मोहीअ
नावीअ
पूसइ
पूसीअ
खामइ खामसी
मोहिि
नाविहि
पूसिडि
खामहि
नासवउ
दरिस उ
मिस्सउ
अप्पउ
दूमउ
वाअउ
ठाअउ
झाअउ
ण्हाअउ
गाअउ
भमाडउ
सोसउ
तोसउ
रूसउ
मोहउ
नावउ
३०३
पूस उ
खाममु
पाडेज
आहोडेज
नासवेज
दरिसेज्ज
मिस्सेज
अपिज्ज
दूज
वाएज
ठाएज्ज
झाएज
हाएज
गाएज
भमाडेज्ज
सोसेज्ज
तोसेज्ज
सेन
मोहेज्ज
ना वेज्ज
पूसेज
खामेज
धातुओं के कर्मणि और भाव में प्रेरकरूप
( ३४ ) प्रेरणार्थक धातु में भाव और कर्मणि के रूप बनाने के लिए मूल धातु मैं विप्रत्यय जोड़ने के उपरान्त कर्मणि और भाव के प्रत्यय ईअ, ईय अथवा इज्ज प्रत्यय जोड़ने चाहिए ।
( ३५ ) मूलधातु में उपान्त्य अ के स्थान पर आ कर दिया जाय और इस अंग अ, ईया इप्रत्यय जोड़ देने से प्रेरक कर्मणि और भावि के रूप होते हैं ।
कर् + आवि = करावि, करावि + ईअ = करावीअ +इ = करावीअइ काराप्यते कर्— कार + ईअ = कारीअ + इ = कारीआइ, कारीअ + ए = कारीअए कार्यते कराविहि, कराविद्दिए, कराविस्सए 4 काराययिष्यते ।