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अभिनव प्राकृत व्याकरण
क्रियातिपत्ति
म० पु०
उ० पु०
एकवचन
बहुवचन
प्र० पु० थुणेज्ज, थुणेज्जा, थुणन्तो, थुणेज्ज, थुणेज्जा, थुणन्तो, थुणमाणो
धुणमाणो
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इसी प्रकार चिण (चि), जिण (जि), सुण (भु) और घुण (धू) आदि धातुओं के रूप बनते हैं ।
प्र० पु० हरिसइ, हरिसए म० पु० हरिससि, हरिस से उ० पु० हरिसामि, हरिसमि
हरिस हृष (प्रसन्न होना ) - वर्तमान
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एकवचन
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प्र० म० उ० पु० हरिसीअ
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भूतकाल
एकवचन और बहुवचन
भविष्यत्काल
एकवचन प्र० पु० हरिसिहि, हरिसिद्दिए म० पु० हरिसिद्दिसि, हरिसिहिसे उ० पु० हरिसिस्सं, हरिसिस्लामि
हरिसिहामि, हरिसिद्दिमि
), हुण (हु), लुण (लू), पुण (पू)
बहुवचन हरिसन्ति, हरिसन्ते, हरिसिरे हरिसिस्था, हरिसह
हरिसिमो, हरिसामो, हरिसमो;
हरिसिमु, हरिसामु, हरिसमु;
हरिसिम, हरिसाम, हरिसम
विशेष - अकार को एत्व कर देने पर हरिसेइ, हरिसेन्ति इत्यादि रूप बनते हैं ।
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बहुवचन
हरिसिद्दिन्ति, हरिसिद्दिन्ते, हरिसिद्दिरे हरिसिद्दित्था, हरिसिद्दिह हरिसिस्वामी, हरिसिहामो, हरिसिद्दिमो; हरिसिस्सामु, हरिसिहामु, हरिसिद्दिमु; हरिसिस्साम, हरिसिद्दाम, हरिसिहिम; हरिसिद्दिस्सा, हरिसिद्दिस्था
विशेष - एत्व हो जाने पर हरिसेद्दिर, हरिसेद्दिन्ति आदि रूप होते हैं ।
क्रियातिपत्ति
एकवचन और बहुवचन
प्र० म० उ० पु० इरिसेज्ज, हरिसेज्जा, हरिसन्तो, हरिसमाणो