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________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण बहुवचन विधि एवं आज्ञार्थ एकवचन प्र० पु० रवउ, रवेड रवन्तु, रवेन्तु म० पु० रवहि, रवसु, रवेहि, रवह, रवेद रवेनु, रवेजहि, रवेजे, रव उ० पु० रविमु, रवेमु, रवामु, रवमु रविमो, खामो, रखमो, रवेमो क्रियातिपत्ति एकवचन बहुवचन प्र. पु० रवेज, रवेजा, स्वन्तो, रवमाणो रवेज, रवेजा, वन्तो, रवमाणो म० पु० " " उ० पु. , , , , उभयपदी कर< (करना) वर्तमान एकवचन बहुवचन प्र० पु० करइ, करए करन्ति, करन्ते, करिरे म० पु० करसि, करसे - करित्था, करह उ० पु० करामि, करमि करिमो, करामो, करमो; करिमु, करामु, करमु; करिम, कराम, करम भूतकाल एकवचन बहुवचन प्र० पु० करीअ करीअ म० पु० , उ० पु० , भविष्यत्काल एकवचन बहुवचन प्र० पु० करिहिइ, करिहिए करिहिन्ति, करिहिन्ते, करिहिरे म० पु. करिहिसि, करिहिसे करिहित्था, करिहिह उ० पु० करिस्स, करिस्सामि, करिस्सामो, करिहामो, करिहिमोः करिहामि, करिहिमि. करिस्साम, करिहामु, करिहिमु; करिस्साम, करिहाम, करिहिम, करिहिस्सा, करिहित्था
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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