SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 282
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण २५१ = सेयं अंबरं जेसिं ते = सेयंवरा (श्वेताम्बराः); महंता बाहुणो जस्स सो महाबाहू ( महाबाहु ); पंच वत्ताणि जस्स सो = पंचवत्तो सीहो ( पञ्चवक्त्रः ); चत्तारि मुहाणि जस्स सो = चउम्मुहो (चतुर्मुखः ) ब्रह्मा; तिण्णि नेत्ताणि जस्स सो तिणेत्तो ( त्रिनेत्र:) हरोः एगो दंतो जस्स सो = एगदंतो ( एकदन्तः) गणेसो; वीरा नरा जम्म गा सो गामो = वीरणरो (वीरनरः); सुत्तो सिंघो जाए गुहाए सा = सुत्तसिंहा गुहा ( सुप्तसिंहा गुफा ); दिण्णाईं वयाईं जेसिं ते = दिण्णवयो साहवो (दत्तव्रताः साधव: ); पत्तं नाणं जं सो = पत्तनाणो मुणी ( प्राप्तज्ञान: मुनि: ) जिओ कामो जेण सो = जिअकामो अकलंओ ( जितकामोऽकलङ्क ); नहं दंसणं जत्तो सो = नट्ठदंसणो मुणी ( नष्टदर्शनो मुनिः); जिओ अरिगणो जेण सो जिआरिगणो अजिओ (जितारिगणोऽजित: ) । = ( ३९ ) व्यधिकरण बहुब्रीहि वह है, जिसके सभी पद प्रथमान्त न हों, केवल एक ही पद प्रथमान्त हो और दूसरा पद षष्ठी या सप्तमी में हो । यथा चक्कं पाणिम्मि जस्स सो चक्कपाणी (चक्रपाणिः); चक्कं हत्थे जस्स सो चक्कहत्थो भरहो (चक्रहस्तो भरत: ); गंडीवं करे जस्स सो गंडीवकरो अज्जुणो (गाण्डीवकरोऽर्जुनः) । (२) विशेषणपूर्वपद बहुब्रीहि (४०) जिस बहुब्रीहि का प्रथम पद विशेषण हो, उसे विशेषणपूर्वपद बहुब्रीह कहते हैं । यथा णीलो कंठो जस्स सो णीलकंठो मोरो नीलकण्ठो मयूरः ) । (३) उपमानपूर्वपद बहुब्रीहि (५) जिस बहुब्रीहि का प्रथमपद उपमान हो, उसे उपमानपूर्वपद बहुब्रीहि कहते हैं । यथा चन्दो इव मुहं जाए = चंदमुही कन्ना ( चन्द्रमुखी कन्या ); मियनयणाईं इव नयणाणि जाए सा = मियनयणा ( मृगनयना ); कमलनयणाईं इव नयणाणि जाए सा = कमलनयणा ( कमलनयना ); गजाणण इव आणणो जस्स सो = गजाणणो (गजाननः ); हंसगमणं इव गमणं जाए सा= हंसगमणा ( हंसगमना ) । (४) अवधारणपूर्वपद बहुब्रीहि (६) जिसके पूर्वपद में अवधारणा पायी जाय, उसे अवधारणपूर्वपद बहुब्रीहि कहते हैं । यथा - 1 चरणं चेअ धणं जाणं = चरणधणा साहवो ( चरणधनाः साधवः ) |
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy