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________________ २१२ अभिनव प्राकृत-व्याकरण सहि (पष्टि) तीनों लिगों में एकवचन - बहुवचन प०-सट्ठी सट्ठीओ, सट्ठीउ, सट्ठी वी०-सर्टि सट्ठीओ, सट्टीउ, सट्ठी त०-सट्ठीअ, सट्ठीआ, सट्टीइ, सट्टीए सट्ठीहि-हि-हि चल्छ०–सहीअ, सट्ठीआ, सट्ठीइ, सट्ठीण, सट्ठीणं सट्ठीए पं०-सट्टित्तो, सट्टोअ, सट्टीआ, सहित्तो, सट्ठीओ, सट्ठीउ, सट्ठीहिन्तो, सट्ठीइ, सट्टीए . सट्टीसुन्तो स-सट्टीअ, सट्टीआ, सट्टीइ, सट्टीए, सट्ठीसु, सट्ठी सं०-हे हे सहि, सट्टी हे सट्ठीओ, सट्टीउ, सट्टी इसी प्रकार एगसट्टि, दोसटि, तेपट्टि, चउसह, पणसहि, छसट्टि, सत्तसट्टि, अडसट्टि, एगूणसत्तरि, सत्तरि, सयरी, एगसत्तरि, दोसत्तरि, तेपत्तरि, तेवसत्तरि, चउसत्तरि, चउसयरि, पणसत्तरि, छस्सयरि, सत्तसपरि, अडसयरि, एगूगासीइ, असीइ, एगासीइ, दोसीइ, तेसीइ, चउरासीइ, पणसीइ, छासीइ, सत्तासीइ, सगसीइ, अठासीइ, एगूणउइ, णवइ, एगणवइ, दोणवइ, तेणवइ, चउणवइ, पंचणवइ, छण्णवइ, सत्ताणवइ, अट्ठाणवइ और नवणवइ शब्दों के रूप होते हैं । नपुंसकलिंग सय ( शत) एकवचन बहुवचन प०-सयं सयाई, सया, सयाणि वी०-सयं सयाई, सयाइँ, सयाणि सं०--हे सय हे सयाई, सयाइँ, सयाणि शेष शब्द अकारान्त पुल्लिंग शब्दों के समान होते हैं। दुसर, तिसय, ( त्रिंशत ), वेसयाई-वेसं (द्विशतः , तिण्णि सयाई-त्रणसे (त्रिंशत), चत्तारिसयाई-चारसे ( चतुश्शत ), सहस्स ( सहस्र ), दहसहस्स ( दशसहस्र ), अयुअ ( अयुत ), लक्ख ( लक्ष ), दहलक्ख ( दशलक्ष ), पयुअ (प्रयुत ), कोडि ( कोटि ), कोडाकोडि ( कोटाकोटि ) आदि शब्दों के रूप भी इन्हीं शब्दों के समान होते हैं। सय आदि शब्दों के रूप केवल नपुंसकलिंग में होते हैं, अन्य लिंगों में नहीं।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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