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अभिनव प्राकृत-व्याकरण
१४१ ( ४ ) किसी-किसी आचार्य के मत से पृष्ठ, अक्षि और प्रश्न शब्द विकल्प से स्त्रीलिंग में प्रयुक्त होते हैं । यथा
पुट्ठी ( स्त्रीलिंग ) , पृष्ठम्-संस्कृत में नपुंसकलिंग है, पर प्राकृत में विकल्प पुढे (नपुंसक ) से स्त्रीलिंग भी है । अच्छी (स्त्रीलिंग),
अक्षि- अच्छं ( नपुंसक )
" . पण्हा (स्त्रीलिंग), प्रश्नः-संस्कृत में यह पुल्लिंग है, पर प्राकृत में विकल्प
पण्हो ( नपुंसक ) से स्त्रीलिंग भी होता है। ( ५ ) गुणादि शब्द विकल्प से नपुंसकलिंग में प्रयुक्त होते हैं।'
गुणं ( नपुंसक ) ) गुण:-संस्कृत में गुण शब्द पुल्लिंग है, पर प्राकृत में इसका गुणो (पुल्लिंग ) । व्यवहार पुल्लिंग और नपुंसकलिंग दोनों में होता है । देवाणि (नपुंसक), देवाः-संस्कृत में देव शब्द नित्य पुल्लिंग है, पर प्राकृत देवा (पुल्लिंग ) में यह विकल्प से नपुंसकलिंग भी होता है । खग्गं (नपुंसक),
पाखड्गः-खड्ग शब्द संस्कृत में पुल्लिंग है पर प्राकृत विकल्प से। मंडलग्गं ( नपुंसक ), मंडलग्गो (पुल्लिंग ) मंडलान:- , कररूहं ( नपुंसक ), कररूहो ( पुलिंग ) < कररुहः--
रुक्खाइं ( नपुंसक ), रुक्खा ( पुलिंग )< वृक्षाः-- . (६) इमान्त–इमन् प्रत्यय जिनके अन्त में आया हो और अञ्जल्यादि गण के शब्द विकल्प से स्त्रीलिंग में प्रयुक्त होते हैं। इमान्त शब्द
एसा गरिमा ( स्त्रीलिंग ), एसो गरिमा ( पुल्लिंग ) < एष गरिमा। एसा महिमा ( स्त्रीलिंग ), एसो महिमा ( पुल्लिंग )< एष महिमा । एसा धुत्तिमा ( स्त्रीलिंग ), एसो धुत्तिमा ( पुल्लिंग )< एष धूर्तता।
१. पृष्ठाक्षिप्रश्नाः स्त्रियां वा ४।२०. वर० । २. गुणाद्याः क्लीबे वा ८।१।३४. हे । ३. वेमाजल्याद्याः स्त्रियाम् ८।१।३५. हैं ।
अजल्यादिगण में अजलि, पृष्ठ, अक्षि, प्रश्न, चौर्य, कुक्षि, बलि, निधि, विधि, रश्मि और ग्रन्थि शब्द गृहीत हैं। कल्पलतिका के अनुसार रश्मि शब्द विकल्प से स्त्रीलिंग ही है।