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________________ १३६ अभिनव प्राकृत-व्याकरण (छ) स्प= छ छिहा< स्पृहा(ज) त्त = दृ पट्टणं< पत्तनम्-त्त के स्थान पर ह। मट्रिआ< मृत्तिका-त्त के स्थान पर ह। (झ) र्थ=8 अट्ठो अर्थ:-र्थ के स्थान पर छ । चउट्ठो< चतुर्थः , ( अ ) त = डु___ गड्डो< गर्तः–त के स्थान पर ड्ड। ( ट ) ई = ड्ड कवड्डो र कपर्दः-द के स्थान पर ड्ड । छड्डो< छर्द:- , , छड्डी<छदिः- " " मड्डिओ< मर्दित:-,, , विच्छड्डो< विच्छदः- , संमड्डो< संमर्दः- , , (ठ) ध, द्ध, ग्ध, ब्ध = ड्ढ़ अड्ढं ८ अर्धम्-र्ध के स्थान पर ड्ढ । ईड्ढी ऋद्धिः-द्ध के स्थान पर ड्ढ । दड्ढो< दग्ध:-ग्ध के स्थान पर ड्ढ । विअड्ढो< विदग्धः-,, , वुड्ढोर वृद्धः-द्ध के स्थान पर ड्ढ । वुडढी < वृद्धिः - , " सडढा<श्रद्धा- " " ठड्ढो< स्तब्ध:-ब्ध के स्थान पर ड्ढ । (ड) ञ्च = ण्ण पण्णरह < पञ्चदश-ज्च के स्थान पर ण । पण्णासा< पञ्चाशत्- " (ढ) त्त = ण्ण दिण्णं< दत्तम्-त्त के स्थान पर ण ।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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