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________________ १२० अभिनव प्राकृत व्याकरण (छ) य = ह - छाही छायाय के स्थान पर ह और आकार को ईव । सच्छाहं 4 सच्छायम्- य को ह । ( ३० ) संस्कृत का र वर्ण प्राकृत में ड ण और र में बदल जाता है । ( क ) र = ड - किडी < किरि:- र के स्थान पर ड, इकार को दीर्घं । :-ढ के स्थान पर ह और र को ड । पिहडो पिढर: < भेडो मेर:-र के स्थान पर ड । (ख) र = ण कणवीरो करवीर:- र के स्थान पर ण । K (ग) र = ल - -- अवद्दालं4 अपद्वारम् — संयुक्त व का लोप और द को द्वित्व, र को ल । इंगालो अङ्गार : - अकार को इकार और र को ल । कलुणो करुणः -र को ल । काहलोकातरः - त को ह और र को ल । दलिदो दरिद्रः - र को ल, संयुक्त रेफ का लोप और द को द्वित्व | "" दलिद्दा दरिद्राति दालिदं दारिद्र्यम् - और य का लोप फलिहा परिखा- -पका फ, र कोल और ख को छ । ,, 99 " "" फलिहोपरिघः प को फ, र को ल और घ को ह । फालिहो पारिभद्रः - प को फ, र कोल, भ को ह तथा संयुक्त रेफ का लोप और दो । भसलो भ्रमरः – संयुक्त रेफ का लोप, म को स और र को ल । मुहलो खरः - ख को ह और र को ल । जहुट्ठलो युधिष्ठिर::-य को ज, घ को ह, संयुक्त प का लोप ठ को द्वित्व और पूर्ववर्ती महाप्राण को अल्पप्राण, र को ल । लुक्को < रुग्णः - कोल और ग्ण को क्क । वलुणो वरुणः -र को ल । सिढिलो शिथिर: – तालव्य श को दन्त्य स, थ को ढ और र को ल । - सक्कालो << सत्कारः – संयुक्त त का लोप, क को द्वित्व और र को ल । सोमालो सुकुमारः - क का लोप, शेष स्वर उ का लोप तथा पूर्व स्वर उ को ओ, कोल
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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