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________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण परिसं< पौरुषम् – औ के स्थान पर ओ, पश्चात् अ + उ, ९५ को इव । भिउडी भ्रुकुटि :- संयुक्त रेफ का लोप, उकार को इकार, क लोप, उ स्वर शेष और ट कोड । कारोत्तर उ (ग) उ = ई छीअं क्षुतम् -क्ष के स्थान पर छ, उकार को ईकार, त लोप और अ स्वर शेष । (घ) उ = ऊ दूहवो, दुहओ < दुर्भग: - दकारोत्तर उकार को विकल्प से ऊकार, संयुक्त रेफ का लोप, भ को ह और ग लोप, अ स्वर शेष तथा ओत्व । (ङ) उ = मूसलं, मुसलं मुसलम् - मकारोत्तर उकार को विकल्प से ऊत्व । दूस हो, दुस्सहो 4 दुस्सह: - दकारोत्तर उकार को विकल्प से त्व । सुहवो, सुहओ सुभगः - सकारोत्तर उकार को विकल्प से ऊकार, भ को छ, ग लोप और अ स्वर शेष । K = ओ को उहलं, कुऊहलं कुतूहलम् — ककारोत्तर उकार को ओव, तकार का लोप, ऊ स्वर शेष तथा ऊ को विकल्प से ह्रस्व । ( ६ ) संस्कृत की ऊ ध्वनि प्राकृत में अ, जाती है. ई, उ, ए और ओ रूप में बदल 1 ( क ) ऊ = अ - निम्न लिखित प्राकृत शब्दों में संस्कृत की ऊ ध्वनि विकल्प से अ में परिवर्तित होती है । दुअल्लं, दुऊलं दुकूलम् - मध्यवर्ती क लोप, ऊ स्वर शेष और ऊ के स्थान पर विकल्प से अ । सहं, सुहं सूक्ष्मम् — सकारोत्तर ऊकार के स्थान पर विकल्प से अकार, क्ष्म के स्थान पर ह । ( ख ) ऊ = ई निउरं, नुउरं नूपुरम् – ऊकार के स्थान पर विकल्प से इकार, प का लोप उ शेष । ( ग ) ऊ = ई < उव्वीढं, उव्वूढं उदद्व्यूढम् – द्य् का लोप और व को द्वित्व और ऊकार को विकल्प से ईकार । (घ ) ऊ = उ – निम्न लिखित शब्दों में ऊकार के स्थान पर उत्व होता है । कंडुअइ < कण्डूयते – ऊकार के स्थान पर उकार और यकार का लोप, अ स्वर शेष, विभक्त चिह्न इ ।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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