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________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण पाडिसिद्धी, पडिसिद्धी प्रतिसिद्धिः-प्र के संयुक्त रेफ का लोप और अ को विकल्प से दीर्घ, अन्तिम हकार को दीर्घ । . . पाडिफदी, पडिफदी< प्रतिस्पर्धी-प्र के संयुक्त रेफ का लोप, अ को विकल्प से दीर्घ, स लोप और प को फ तथा संयुक्त रेफ का लोप, ध को द्वित्व और पूर्व को द। पावयणं, पवयणं< प्रवचनम्-प्र के संयुक्त रेफ का लोप, अ को विकल्प से दीर्घ, च लोप और स्वर को य श्रुति, न को ण। पारोहो, परोहोः प्ररोहः—प्र के संयुक्त रेफ का लोप और अ को विकल्प से दीर्घ । पावासू, पयासू प्रवासीपासिद्धी, पसिद्धी प्रसिद्धिः- , " " पासुत्तो पसुत्तो< प्रसुप्त: " , संयुक्त ५ लोप और त को द्वित्व । माणंसी, मणंसी< मनस्वी—मकारोत्तर अ को विकल्प से दीर्घ, न को ण, अनुस्वार और संयुक्त व का लोप । माणंसिणी, मणंसिणी< मनस्विनी सामिद्धी, समिद्धी< समृद्धि:-सकारोत्तर अ को विकल्प से दीर्घ, मकारोत्तर ऋ को इ और इकार को ईकार । ___ सारिच्छो, सरिच्छो< सदृक्ष:-सकारोत्तर अ को दीर्घ और दृक्षः के स्थान पर रिच्छो। ( ख ) अ = इ संस्कृत की अ ध्वनि का इ में परिवर्तन । इसि< ईषत्-दीर्घ ईकार को हस्व इकार, षकारोत्तर अ को इकार और अन्तिम हलन्त्य व्यंजन त् का लोप । उचिमो< उत्तमः-त्तकारोत्तर अकार को इकार और विसर्ग का ओत्व। कइमो<कतमः-तकारोत्तर अकार को इकार और विसर्ग को ओत्व।। किविणो कपण:-क में रहनेवाली ऋ को इ, ५ को व और अकार को इकार, विसर्ग को ओत्व। दिण्णं <दत्तं-कारोत्तर अकार को इत्व तथा तं के स्थान पर णं। मिरिअं< मरिचम्म कारोत्तर अकार को इकार, च का लोप और अ स्वर शेष । मझिमो< मध्यमः-संयुक्त य का लोप, ध के स्थान पर झ, द्वित्व और पूर्ववर्ती झ को ज् तथा अ को इकार । मुइंगो< मृदङ्ग:--म में रहनेवाली ऋ के स्थान पर उ, द लोप और अ स्वर के स्थान पर इत्व।
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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