SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 95
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ソ मंत्रास्थानि सुर्या श्रुतिर्या विरतसुरधुनि वित्यभिर्वाग्‌विलासैक रास्यं शुद्धं कुद्धानां सपदिविदपति स्वीयसंज्ञां चतुर्या बिखाएग ब्रह्मजाता त्रिभुवन महिता नित्य वर्ग झुमाङ्गी । द्वैरूपंखा सा भजन्ति प्रवितरतु सुखे शारदा देवता वः 11.20 + भूतानां भूरिदुःखो कर निरसनतो विष्णुमाया तयो द्यः दारिद्र्‌याद्रि प्रलोपा जलनिचितनमा देख्यपेषा चकि चण्डि इत्या व्हान चर्म या उपबरिवल निवासमये असे निदध्यात्स बीजे पद्मादिष्टार्थ सार्थ पृथुलमिहमुदा देवता सा गिरो वः तणा शक्तिः कालीकुमारी चिगुएमयतनु की हिंगुलायैशा सिद्धिः, झीकारी वृत्तमाता जगदय दलनी मक्षिी विश्वपात्री। नजोड़ी विन्धवासा शबररमएिका जालपिनान देवीक त्याधैरूपै रचन्ति जगदुपचिनुता भारती देवता वशा 29
SR No.032031
Book TitleSarasvatina Bhinna Bhinna Swarupo
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages124
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy