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________________ दम्माद्दीपावलीनां दिशिविदिशि समद् दृहसावंदपागा. शुद्धश्वत बजानामपिशाशतिल जम्माभित्तों न पत्तां - तीरप्रासाद पंक्ति जगतिनिशिसुप्पा सिन्यु पुष्टात्मदेशा मस्या राती सुवेटी द्यतुसपदितरां शश्व देनी सिसानी | सवन्ते रुद्रमिन्द्रंसदलसुरवृत्तं पुत्रिका यत्रदेव्यो, दगभावीस्पष्टचारी करएलयन पुः क्षेपताले सुनृत्यैः । नानाभालेश्यका लघुनिलमसुरत् क्ष्माचरं तं परन्ती । रेवभूमिवीरे वनतनु रनताद भारती देवता का पहा कंसव्यासप्रमं गं मई मधा गुरु गो प्रसंगोज्नला :चन्द्रामं पुण्डरीनं दिशतु मृशमुमा वहन संलरं नः । लोले लोकेश जामा हशिनाविलसन नाकनितीन भूमेः फरर्जत वेणीविकाशस्त्रिजगतिविमलं सेव मंगलं शेव शिन्या: (इति)सरस्वतोश्रृंगारघरेजलतलं द्वितीयम् --
SR No.032031
Book TitleSarasvatina Bhinna Bhinna Swarupo
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages124
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size16 MB
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