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________________ सरस्वती का वाहन जैन धर्म में अनेक विद्या-देवियाँ हैं । उनमें से वज्रशृङ्खला, काली', गान्धारी' इत्यादि को हंस-वाहनों से संयुक्त किया गया है। हंस के अतिरिक्त मोर को भी सरस्वती का वाहन माना गया है । यह वर्णन पुराणों में उपलब्ध नहीं होता है, परन्तु अन्यत्र इस का वर्णन पाया जाता है। हंस की भाँति मोर को जैन-धर्म में कुछ विद्या-देवियों का वाहन माना गया है । रोहिणी, प्रज्ञप्ति,' अप्रतिचक्रा आदि देवियों का वाहन हंस है । जैन धर्म के श्वेताम्बर तथा दिगम्बर दो मुख्य सम्प्रदाय हैं। इन सम्प्रदायों की भिन्न-भिन्न देवियों के वाहन भिन्नभिन्न हैं । उदाहरण के रूप में कुछ का वर्णन इस प्रकार है । श्वेताम्बर सम्प्रदाय की रोहिणी का वाहन हंस है।" इसी प्रकार इसी सम्प्रदाय को वज्रांकुश का वाहन हाथी है ।१२ दिगम्बर सम्प्रदाय की अप्रतिचक्रा का वाहन गरुड,१३ पुरुषदत्ता का कोयल,१४ और काली का हिरण है। इसी सम्प्रदाय की महाकाली का वाहन कच्छप है ।१६ श्वेताम्बर सम्प्रदाय की महाकाली तथा गौरी के वाहन मनुष्य तथा घडियाल" हैं । १. हस तथा मोर के तात्पर्यार्थ : __पक्षियों में हंस एक श्रेष्ठ पक्षी है । इसका वर्णन साहित्य में विविध प्रकार से हुआ हैं । कवियों एवं अध्यात्मवादियों ने इसे भिन्न-भिन्न प्रसङ्गों में लिए हैं । इस प्रकार भौतिक तथा अध्यात्म-तत्त्व इस से अनेकशः जुड़े हैं । कवियों ने इस पक्षी को नीर-क्षीर विवेक से जोड़ रखा है, जिसका समाधान लोगों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से ४. तु० बी० सी० भट्टाचार्य, दि जैन प्राइकोनोग्राफी (लाहौर, १९३६), पृ० १२४ ५. वही, पृ० १२४ ६. वही, पृ० १४१, १७३ ७. चार्ल्स कालेमन, दि माइथालोजी ऑफ दि हिन्दूज (लन्दन, १८३२), पृ० ६ ८. बी० सी० भट्टाचार्य, पूर्वोद्धृत ग्रंथ, पृ० १६६ ६. वही, पृ० १६७ १०. वही, पृ०६८, १६६ ११. वही, पृ० १६६ १२. वही, पृ० १६८ १३. वही, पृ० १६६ १४. वही, पृ० १२६ १५. वही, पृ० १७० १६. वही, पृ० १२६१७. वही, पृ० १७१ १८. वही, पृ० १७२
SR No.032028
Book TitleSanskrit Sahitya Me Sarasvati Ki Katipay Zankiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuhammad Israil Khan
PublisherCrisent Publishing House
Publication Year1985
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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