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________________ ४४ संस्कृत-साहित्य में सरस्वती की कतिपय झाँकियाँ ब्रह्मा की सुयोग्य एवं आज्ञाकारिणी पुत्री होने से सरस्वती ने पिता की आज्ञा के बिना अन्यत्र जाना अस्वीकार कर दिया । तदनन्तर विष्णु ने स्वयं ब्रह्मा से प्रार्थना किया कि वह सरस्वती को पृथ्वी पर जाने की अनुमति दे दें । अन्त में ऐसा ही हुआ । सरस्वती सरिद्रूप में परिणत हो गई । स्वर्ग से हिमालय पर उतर कर, तंत्रस्थ प्लक्षप्रास्रवण से होती हुई धरणि- पृष्ठ पर आ गई । वडवाग्नि के उत्पत्ति के विषय में पुराणों में वर्णित है कि जब दधीचि ऋषि को देवों ने छलपूर्वक मार डाला, तब ऋषिपुत्र पिप्पलाद ने अपने पिता के वध का बदला लेने के लिए घोर तप किया । इसके फलस्वरूप वडवाग्नि की उत्पत्ति हुई । देवों ने 'वडवाग्नि' को स्वर्ण-कलश में रखकर सरस्वती को दे दिया कि वह उसे समुद्र में न्यस्त कर दे । सरस्वती ने इस वडवाग्नि को लेकर पश्चिमी समुद्र में 'प्रभास' नामक स्थान के समीप छोड़ दिया । (३) सामान्यतया यह जन श्रुति है कि जब सगर के ६०,००० पुत्र जलकर भस्म हो गये, तब उनका निस्तार करने के लिए राजा भगीरथ ने गङ्गा को पृथ्वी पर लाने की घोर तपस्या की तथा वह अपने इस प्रयत्न की सिद्धि में सफल भी हुए । पुराणों में सरस्वती के विषय में भी कुछ इसी प्रकार की कल्पना की गयी है, जिसके अनुसार मानवोद्धार एवं कल्याण के निमित्त क्रमशः पीताम्बर एवं मार्कण्डेय ऋषि सरस्वती को स्वर्ग से पुष्कर तथा कुरुक्षेत्र प्रदेशों मे लाए ין (४) मत्स्य, भागवत' आदि पुराणों ने ब्रह्मा (पिता) एवं सरस्वती (पुत्री) के बीच औपन्यासिक प्रेम-प्रपञ्च की कल्पना की है । यह कल्पना किसी घटना अथवा कार्य की प्रतीक रूप है । इन पुराणों से ज्ञात होता है कि प्रेमातुर ब्रह्मा अपने इस साहस में सफल भी हुए, परन्तु ब्रह्मपुराण में इस अश्लीलता का परिहार किया गया है । इस पुराण में दो प्रकार के वर्णन पाए जाते हैं। एक के अनुसार यह कहा गया है कि सरस्वती का राजा पुरुरवा के साथ गुप्त प्रेम था । ब्रह्मा को जब यह ज्ञात हुआ, तो उन्होंने सरस्वती को नदी होने का शाप दे दिया। दूसरे के अनुसार सरस्वती का नदी-रूप धारण करना स्वैच्छिक है । कहा जाता है कि ब्रह्मा के प्रेम के भय से वह १. स्कन्दपुराण, ७।३३।१३-१५ २ . वही, ७।३३।४०-४२ तथा द्र० आनन्द स्वरूप गुप्त, पूर्वोद्धृत ग्रन्थ, पृ० ७१ ३. वामनपुराण, ३७।१६-२३ ४. मत्स्यपुराण, ३।३०-४३ ५. भागवतपुराण, ३।१२।२८ ६. तु० एस. जी. कांटवाला, 'द ब्रह्मा - सरस्वती एपीसोड इन द मत्स्यपुराण', जनरल ऑफ ओरिएण्टल इन्स्टीच्यूट ( बड़ौदा, १९५८), पृ० ३८-४० तथा आचार्य बलदेव उपाध्याय, पुराणविमर्श (वाराणसी, १९६४), पृ० २५६-२६०
SR No.032028
Book TitleSanskrit Sahitya Me Sarasvati Ki Katipay Zankiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuhammad Israil Khan
PublisherCrisent Publishing House
Publication Year1985
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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