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पुस्तक के विषय में सरस्वती ऋग्वैदिक आर्यों की एक प्रमुख देवी थी। आर्यों की सभ्यता एवं संस्कृति के विकास में सरस्वती का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। इस सरस्वती के विभिन्न स्वरूपों को ध्यान में रखकर अभी तक किसी विद्वान् ने काम नहीं किया है । डॉ० मुहम्मद इसराइल खाँ का इस दिशा में प्रथम प्रयास है। इनका 'Sarasvati In Sanskrit Literature' शोध-प्रबन्ध सन् १९७८ में प्रकाशित हुआ था, जो अब out of print है । इस पुस्तक की अत्यन्त माँग थी और अब भी है । देश-विदेशों से उस पुस्तक की प्राप्ति-हेतु पत्र आते रहे हैं। उस पुस्तक की कमी यह प्रकृत पुस्तक 'संस्कृत-साहित्य में सरस्वती की कतिपय झाँकियाँ' करेगी, ऐसी आशा है। इस ग्रन्थ में १३ शोध-लेख तथा कुछ अन्य सामग्रियाँ अन्त में हैं । लेख सरस्वती के विभिन्न पक्षों पर हैं, जिनकी अपेक्षा संस्कृत, सभ्यता, संस्कृति, इतिहास, पुराण, संग्रहालय, पुरातत्त्वसर्वेक्षण, कला, सङ्गीत आदि विभागों तथा संस्थाओं को है। विषयों की विभिन्नता पुस्तक में चार चांद लगा देती है, जिससे ग्रन्थ की उपयोगिता बढ़ गई है।
मुल्य रु. १००/- मात्र