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माँ सरस्वती
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श्री सरस्वती साधना विभाग
श्री सरस्वती गीत गुंजन विभाग
| मां भगवती
(राग : सुणो चंदाजी) माँ भगवती विद्यानी देनारी, माता सरस्वती ! • तुं वाणी विलासनी करनारी, अज्ञान तिमिरनी हरनारी,
तुं ज्ञान विकासनी करनारी...माँ भगवती...(१) . तुं ब्रह्माणी तुं जगमाता, आदी भवानी तुं त्राता;
काश्मीर मंडनी (मंदिरनी) सुखशाता...माँ भगवती...(२) • तुज मस्तके मुगुट बिराजे छ, दोय काने कुंडल छाजे छे, हैये हार मोतीनो राजे छे...माँ भगवती...(३) • एक हाथे वीणा सोहे छे, बीजे पुस्तक पडिबोहे छे,
कमलाकर माला मोहे छे...माँ भगवती...(४) . हंसासना बेसी जगत फरो, कवि जननां मुखमां संचरो,
माँ मुजने बुद्धि प्रकाश करो...माँ भगवती...(५) । • सचराचरमें तुह वसी, तुज ध्यान धरे चित्त उल्लसी,
ते विद्या पामे हसी हसी...माँ भगवती...(६) . तुं क्षुद्रोपद्रव हरनारी, शासनदेवी छे मनोहारी, हुं जाउं तोरी बलिहारी...माँ भगवती...(७) • माता सरस्वती विद्यानी दाता, तुं त्रिभुवनमा छे विख्याता, तुज नामे लहीए सुखशाता...माँ भगवती...(८)
शारदा तुं माता
(राग : तुम्ही हो माता) . शारदा तुं माता, सभी की माता ; अज्ञान त्राता, ज्ञान प्रदाता बालक तेरा आया शरणमें, वंदन करके शीश झुकाता...शारदा० (१) - हंसवाहिनी वीणा वादिनी, कमलासनी तुं देवी महान;
मानव देव पंडित तेरे, ध्यान से बनते बडे विद्वान...शारदा०(२) - विद्या को पाने आये शरणमें, हृदयकमल में तेरा ही ध्यान;
वीणावाली माँ अधरो पें आके, बसो सदा ही हमे हो ज्ञान...शारदा० (३)