________________
माँ सरस्वती
४३
श्री सरस्वती साधना विभाग
माँ सरस्वती का दिव्य स्वरुप ज्ञान-विज्ञान, साहित्य तथा विविध प्रकार की कलाओं की अधिष्ठात्री माँ सरस्वती है, जो हंसवाहिनी है । 'हंस' शब्द ज्ञान और विवेक के अर्थ मे होने से ज्ञानी को 'हंस' शब्द से भी संबोधित किया जाता है ।
माता सरस्वती के दोनों हाथों में वीणा रहती है, तो तीसरे हाथ में मोती की माला और चौथे में आगम की पोथी।
जो व्यक्ति पूर्ण समर्पित भाव से ज्ञान की साधना करता है, कला की सिद्धी के लिये निरंतर प्रयत्नशील रहता है, माँ सरस्वती उसे अवश्य वरदान देती है । वाणी की देवी होने से, उन्हे 'वागिश्वरी' तथा श्वेतवस्त्रधारिणी होने से उन्हें 'शारदा' नाम से भी जाना जाता है | माँ शारदा की कृपा से मूर्ख भी पण्डित बन जाता है। कोई भी जाती,धर्म, वंश का व्यक्ति माँ सरस्वती का कृपा-पात्र हो सकता है, जरुरत है केवल सच्ची श्रद्धा की । जिसके उपर माँ सरस्वती की कृपा हो जाती है, वह कम समय में भवसागर पार कर सकता है | श्रुत, वागेश्वरी, गीर्वाणी, वीणा-पाणी, शारदा, त्रिपुरा, ब्रह्माणी आदि उनके १०८ नाम है । वह कमल पर भी विराजमान रहती है । ऐसे माँ सरस्वती के चरणों में हम प्रार्थना करें
'हे शारदे माँ ! हे शारदे माँ ! अज्ञानता से हमे तार दे माँ !'
श्री सरस्वती माता के चमत्कारी मंत्र १) एँ नमः । (मूल बीज-मंत्र) २) ॐ ह्रीँ नमो अरिहंताणं वद वद वाग्वादिनि स्वाहा । ३) ॐ क्लीं वद वद वाग्वादिनी ! ह्रीँ नमः। ४) ॐ ह्रीं श्रीं ऐं हंसवाहिनी मम जिव्हाग्रे आगच्छ आगच्छ स्वाहा । ५) ॐ ह्रीँ श्रीँ श्रीँ अ॒ श्रः हं तं यः यः ठः ठः ठः सरस्वती भगवती विद्या प्रसादं कुरु कुरु स्वाहा ।
ॐ ह्रीं सरस्वत्यै नमः