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माँ सरस्वती
श्री सम्यग्ज्ञानोपासना विभाग १४ पूर्व को वंदना..., श्री उत्पाद पूर्वाय नमो नमः । श्री अग्रायणी पूर्वाय नमो नमः ।
श्री वीर्य-प्रवाद पूर्वाय नमो नमः । ४) श्री अस्ति-प्रवाद पूर्वाय नमो नमः | ५) श्री ज्ञान-प्रवाद पूर्वाय नमो नमः । ६) श्री सत्य-प्रवाद पूर्वाय नमो नमः । ७) श्री आत्म-प्रवाद पूर्वाय नमो नमः | ८) श्री कर्म-प्रवाद पूर्वाय नमो नमः । ९) श्री प्रत्याख्यान-प्रवाद पूर्वाय नमो नमः । १०) श्री विद्या-प्रवाद पूर्वाय नमो नमः । ११) श्री कल्याण-प्रवाद पूर्वाय नमो नमः । १२) श्री प्राणवाय-प्रवाद पूर्वाय नमो नमः । १३) श्री क्रिया-प्रवाद पूर्वाय नमो नमः । १४) श्री लोक-बिंदुसार पूर्वाय नमो नमः ।
इस तरह १४-पूर्वोको नित्य वंदन करो और शक्य हो तो १४ खमासमणे दो ।
१४ पूर्व शास्त्र की विशिष्टता... इन १४ पूर्वो की रचना, तीर्थंकर भगवान के मूख्य शिष्य जिन्हें गणधर (गणेश) कहाँ जाता है वे ही करते है ।
कुल मिलाकर (देवकुरु-उतर करु क्षेत्रके) १६ हजार ३८३ हाथी के वजन जितनी सुकी स्याही (Ink) इकट्ठी करना । फिर उसमें पानी डालना । अब इतनी स्याही से जितने शास्त्र लिखे जाये उसे १४ पूर्व कहते है। | बार-बार नमन हो इस अद्भूत-अनमोल सम्यग्ज्ञान के खजाने को... |