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माँ सरस्वती
... श्री सम्यग्ज्ञानोपासना विभाग में बढोतरी आती रहेगी । शरीर-बल में वृद्धि होगी और आरोग्य बना रहेगा । शरीर के साथ मानसिक और बौद्धिक आरोग्य में सुधार आएगा ।
३. क्लासरुम में बैठते वक्त पूर्व दिशामें मुह होवे, शुद्ध हवा का आवागमन रहें, धूप न आवे, पढते वक्त पुस्तक पर छाया न पडे, पवन के साथ धूल न आवे, ब्लॅकबोर्ड नजर के स्तर के उपर न होवे, फर्श जादा ठंडा न होवे । इन सब बातों का शरीर और मन के स्वास्थ्य से गहरा संबंध है | इन सब बातों की अनुकुलता अभ्यास में प्रगतिकारक होती है |
२. प्राणिक प्राणशक्ति के कारण शरीर, मन और बुद्धि की कार्य क्षमता में बढोत्तरी होती है । जिनकी प्राणशक्ति दुर्बल होती है, उनमें बौद्धिक साहस का अभाव रहता है । ऐसे विद्यार्थी अधुरी पढाई करते है या नापास हो जाते है । अच्छे गुण पाने की उन्हे कोई महत्त्वाकांक्षा नही होती, पास होने का भी आत्मविश्वास नही होता । 'ए.टी.के.टी.' नकल करने की उनको शर्म नहीं लगती।
ट्युशन, गाईड, गृहपाठ आदि उनके उपयोग में नही आता |
ऐसे लोगों की प्राणिक शक्ति बढाने के बड़े ही आसान तरीके है । वे इस प्रकार
१. उन्हें आकर्षक, अच्छे और सूती कपडे पहनावे । २. उनका नाक तथा श्वसन मार्ग सदा स्वच्छ रखें । ३. नाक से ही श्वास लेते है, इस पे ध्यान रखें । ४. वे माथा ढककर न सोवे, इसपर ध्यान रखें । ५. इसके बाद दीर्घ श्वास लेने का (Deep Breathing) वे अभ्यास
करते है, यह देखें । ६. छाती सिधी रखकर बैठे, इस का ध्यान रखें । ७. हररोज 'ॐ' का जोर से उच्चार का अभ्यास करावें । ८. हो सके तो तानपुरा के स्वर में दीर्घ समय तक 'ॐ' कार का दृढ
उच्चारण करावें । ९. प्राणायम का योग्य प्रकार का अभ्यास बहुत ही लाभदायक होता है । इन से प्राणिक शक्ति का विकास होकर ग्रहणशीलता बढ़ती जाती है।