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मानना ही पड़ी और भजमन अन्तिम मङ्गल होकर जयजयकार ध्वनिसे सभा समान दुबी॥ . .. ..... :
अबतक-इन लोग समाप्त करें करें तबतक पण्डित लालताप्रसादजी सभा से अपने मित्रमडल सहित चुपचाप खिसक गये और बहुत ढूंढ़ खोज करने पर भी मापका पता न चला ॥ .. ..शक्रवार ५ जलाई ११२ ईस्वी । ___ प्रातःकाल होते ही नसीराबाद आर्य समाज के मन्त्री बुलाने पर आये
और शाखाके विषय में पछे जाने पर कहा कि हमारे पण्डित लोग तो अजमेर चलेगये अब इन पा करें। हमारी ओर से प्रापको वही हमारा कल रातको लिखा हुमा प्रश्न दे दिया गया और कहदिया गया कि इसका उत्तर बादमें जब मापसे हो सके भिजवा दीजियेगा ॥
कल रातको व्यास्पान सुनकर ईश्वरके सृष्टि कर्तृत्व और मूर्जिपूजन के विषय, अनेक सन्देहों को प्राप्त विद्वान् वैष्णव परिहत चुनीलाल जी शर्मा हम लोगोंके खान पर पधारे और न्यायाचार्यजी से संस्कृतमें उपर्युक्त दोनों विषयों पर डेढ़ दो घण्टे तक.वाद विवाद कर सन्तोषको प्राप्त हुये और जैनधम्र्मती प्रशंसा करते हुये चलेगये। .. आज दिनको मध्यान्ह समय सभा पुनः अजमेर लौट भायी । सन्ध्या की वादिंगज केसरीजीको मन्दिरजी शाख सभा हुयी और आपने उसमें कई तत्वों और वातोंका अपूर्व स्वरूप दिखला कर सबको आनन्दित किया । कलके आर्यसमाज विज्ञापनका उत्तर निम्न विज्ञापन द्वारा दियागया ।
॥ बन्दे जिनबरम् ॥ आर्यसमाज की खुलगई पोल । शास्त्रार्थ से टालम टोल ।
सर्व साधारण सज्जन महोदय की सेवा में निवेदन है कि कल एक वि. जापम " सराबगियों की मङ्गी पोल भीतर तांबा ऊपर जोल' शीर्षक मा. र्यसमाज की भोरसे निकला है जिसमें कि नालियों मोर असभ्य बातोंके सिवाय सारवात का खेशमात्र भी नहीं है और यह प्रत्यक्षही है कि जो हीन शक्ति हुश्रा करता है वही इस प्रकार गालियों तथा असभ्य शब्दों का प्रयोग किया करता है।