________________
-
(१३) श्री जैन तत्व प्रकाशिनी सभाको ओरसे स्वामी जीके इस चेलेञ्जपर निम्न मुद्रित चेलेञ्ज कुंवर साहवकी समालोचना समाप्त होते ही वांट दिया गया।
॥ वन्दे जिनवरम् ॥ __.. आर्यसमाजी स्वामी दर्शनानन्दजीको उनके.
चेलेञ्जपर चेलेज ॥*.. श्री जैनतत्त्व प्रकाशिनी सभा कुंवर दिग्विजयसिंहजीके आपके प्रश्नों पर दिये हुये उत्तरोंको अक्षर प्रत्यक्षर सत्य समझती है और उसपर शास्त्रार्थ करनेके लिये सर्वथा उद्यत है यदि आप उन्हें असत्य और भ्रममूलक समझते हो तो हम आपके चेलेञ्जानुसार शास्त्रार्थ करनेको अभी अजमेर में ही ता० १ जौलाई १९१२ ई० तक (जब तक कि हम लोग यहां ठहरेंगे ) उद्यत हैं । यदि आप इस समय असमर्थ हों तो आपके लेखानुसार ही हम आजसे एक मास पश्चात् इटावा या मुरैनामें सहर्ष शास्त्रार्थ के लिये सम्बद्ध हैं । पूर्ण माशा तथा दृढ़ विश्वास है कि आप शास्त्रार्थ से पीछे न इटकर हम लोगोंको अनुग्रहीत करेंगे। विशेष्वलम् ।
चन्द्रसेन जैन वैद्य, मन्त्री
श्री जैनतत्त्व प्रकाशिनी सभा इटावा। . तारीख २९ जून १९१२ "सृष्टि कर्तृत्व मीमांसा” वादिगजकेसरी जीको लिखी हुयी है अतः उसके खण्डनमें लिखी हुयी स्वामीजीके "जैन मत समीक्षा” नामक ट्रैक्टकी समालोचना करनेका भार वादिगजकेसरी जीके एक छोटे विद्यार्थी देवकी नन्दनजीने अपने ऊपर लिया और बड़ी योग्यतासे स्वामीजीकी समीक्षाका खखन और मीमांसामें प्रतिपादित विषयका मण्डन किया। यह खगडन मगडन शीघ्र ही पुस्तकाकार प्रकाशित होगा। विद्यार्थी . देवकीनन्दनजी की समालोचना समाप्त होते ही श्री जैनतत्त्व प्रकाशिनी सभाकी ओरसे निम्न चेलेञ्जका मुद्रित विज्ञापन वांट दिया गया। .. ..
॥ वन्दे जिनवरम् ॥
, विज्ञापन । सर्व साधारण सज्जम महोदयोंको सूचित किया जाता है कि स्वामी द- |